इटावा के चुनावी राण में मुलायम परिवार को मात देने को तैयार हैं सरिता भदौरिया, कही ये बात
इटावा में सर्वेश शाक्य के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी सरिता भदौरिया, यादव परिवार का अब खेल हो चुका खत्म
इटावा: विधानसभा चुनाव के लेकर यूपी की राजनीति का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. सभी पार्टियां अपना पूरा दम सत्ता पाने के लिए झोंक दे रही हैं. इसी कड़ी में यूपी की राजनीति में इटावा यादव परिवार का गढ़ माना जाता है. लेकिन बीजेपी नेता व एक महिला विधायक दूसरी बार मुलायम सिंह यादव परिवार को इटावा में चुनावी मैदान में जोरदार टक्कर देंगी. भाजपा ने इटावा सदर सीट से सरिता भदौरिया को टिकट दिया है. सरिता ने 2017 में इटावा में कमल खिलाया था और इस बार चुनाव प्रचार करने में फिर पूरा जोर लगा रही हैं. सरिता भदौरिया कहती हैं कि सिर्फ इटावा नहीं यूपी की मजबूरी है, योगी जरूरी हैं. वह दूसरी बार खुद जीतने के साथ ही पूरे इटावा में कमल खिलाने का दावा करती हैं. उधर, सपा की तरफ से सर्वेश शाक्य चुनाव मैदान में हैं. वहीं, बीएसपी की तरफ से कुलदीप यादव को टिकट दिया गया है.
इटावा में सरिता भदैरिया देंगी सपा को मात
पति की हत्या के बाद मजबूरी में राजनीति में उतरीं सरिता भदौरिया आज इटावा में भाजपा के सबसे बड़ी मजबूती हैं. सरिता भदौरिया इटावा सदर से पिछला चुनाव जीत कर यादव की धरती में सेंध लगा चुकी हैं और अब दूसरी बार अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मैदान में हैं. मुलायम सिंह के घर से महज 22 किलोमीटर दूर जय श्री राम का नारा लगाते हुए सरिता भदौरिया इटावा सदर में जमकर प्रचार कर रही हैं. सपा की स्थापना के बाद से ही इटावा जिला उसका गढ़ रहा है लेकिन 2017 में सरिता भदौरिया ने ही मुलायम परिवार का किला ढहा दिया था.
जब सरिता ने मुलायम सिंह यादव के घर में कर दिया ढेर
इतने नजदीक से लगे झटके ने मुलायम सिंह यादव को उनके घर में ही ढेर कर दिया. सरिता अपने प्रचार में हाल ही में भाजपा नेताओं पर इस इलाके में हुए हमलों के लिए सपा की बदतमीजी वाली राजनीति को जिम्मेदार ठहराती हैं. सरिता ने ऐलान किया कि अब यहां से यादव परिवार का खेल पूरी तरह से खत्म हो चुका है. साल 2022 के चुनाव में बीजेपी ने अखिलेश यादव को उनके ही घर में घेरने का चक्रयूह रचा है. एक तरफ सरिता जैसे कद्दावर नेता अपनी सीट बचाने के लिए जोर शोर से जुटे हैं तो दूसरी तरफ करहल से भी बीजेपी ने केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को अखिलेश यादव के खिलाफ मैदान में उतार कर राजनीति के खेल को दिलचस्प बना दिया.