Sansad में कितनी बार स्थगित हुआ सदन शीत क़ालीन सत्र में
Sansad का शीतकालीन सत्र, जो 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2024 तक चलने वाला है, अब तक अराजकता और व्यवधानों का प्रतीक बन गया है।
Sansad का शीतकालीन सत्र, जो 25 नवंबर से 20 दिसंबर 2024 तक चलने वाला है, अब तक अराजकता और व्यवधानों का प्रतीक बन गया है। Sansad की दिनचर्या अब “कुछ मिनटों की कार्यवाही और दिन भर के स्थगन” तक सीमित हो गई है। हर दिन विपक्षी दल विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग करते हैं, जिससे दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा—में गतिरोध बना रहता है  ।
आखिर क्यों रुकी है Sansad ?
विपक्षी दल मुख्य रूप से गौतम अडानी से जुड़े घूस के आरोप, मणिपुर और संभल हिंसा पर चर्चा की मांग कर रहे हैं। इन विवादों पर चर्चा की कमी के कारण संसद के दोनों सदन बार-बार स्थगित हो रहे हैं।
• लोकसभा में 29 नवंबर को लगातार नारेबाजी और शोरगुल के कारण कार्यवाही सिर्फ कुछ ही मिनटों तक चली.
• राज्यसभा के सभापति ने “अराजकता” को चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह संसद की गरिमा के लिए खतरनाक है.
लंबित मुद्दे और उनका असर
शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा के लिए लंबित हैं:
1. समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code): इस पर बहस की उम्मीद थी, लेकिन व्यवधानों ने इसे बाधित कर दिया।
2. महंगाई और बेरोजगारी: विपक्षी दल इन पर ठोस चर्चा चाहते हैं।
3. आदिवासी अधिकार और कानून व्यवस्था: राज्यों से जुड़े मुद्दे भी प्राथमिकता पर हैं.
राष्ट्रीय प्रभाव
Sansad में स्थिरता की कमी से न केवल विधायी प्रक्रियाएं बाधित होती हैं, बल्कि इससे सरकार और विपक्ष के बीच संवादहीनता भी बढ़ती है। यह जनता की समस्याओं को हल करने में देरी का कारण बनता है और संसद की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है।
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Sansad के व्यवधानों को रोकना और जनता के मुद्दों पर सार्थक बहस करना न केवल सरकार बल्कि विपक्ष की भी जिम्मेदारी है। अब देखना होगा कि सत्र के शेष दिनों में स्थिति सुधरती है या यह गतिरोध जारी रहता है।