Sansad की कार्यवाही | MNREGA जॉब कार्ड डिलीटions पर सरकार का बयान
Sansad में हुए इस बहस के बाद, केंद्र सरकार ने MNREGA के संचालन में अपनी भूमिका को स्पष्ट किया है, लेकिन विपक्ष और विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता
3 दिसंबर 2024 को Sansad लोकसभा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि MNREGA (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के जॉब कार्डों को हटाने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती है और इसे पांच प्रमुख कारणों के आधार पर किया जाता है। इस बयान के दौरान मंत्रालय ने यह भी कहा कि केंद्र ने MNREGA के भुगतान के लिए आधार आधारित प्रणाली लागू की है, लेकिन इसका जॉब कार्ड डिलीशन से कोई संबंध नहीं है।
आधार आधारित भुगतान प्रणाली और जॉब कार्ड डिलीटions
केंद्र सरकार ने लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि आधार आधारित भुगतान प्रणाली को केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू किया गया है, न कि जॉब कार्ड डिलीटions की दर को प्रभावित करने के लिए। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार से जुड़ी प्रक्रिया को लागू करने का मुख्य उद्देश्य MNREGA की प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाना है।
साथ ही, मंत्रालय ने यह दावा किया कि आधार सीडिंग (आधार को जॉब कार्ड से जोड़ना) का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभार्थियों को सही समय पर और सही राशि का भुगतान किया जाए, न कि जॉब कार्ड की डिलीटions को बढ़ाने के लिए।
Sansad राज्य सरकारों की जिम्मेदारी
Sansad लोकसभा में मंत्रालय ने यह भी बताया कि जॉब कार्ड डिलीटions के कारणों को लेकर राज्य सरकारों का महत्वपूर्ण योगदान है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से राज्य सरकारों के निर्णय पर आधारित है, जो विभिन्न कारकों के आधार पर जॉब कार्डों को अपडेट या डिलीट करने का निर्णय लेती हैं। इन पांच प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- जॉब कार्ड धारक का कार्य पूरा न करना।
- लाभार्थियों द्वारा मस्टर रोल (काम की पर्ची) पर हस्ताक्षर न करना।
- लाभार्थी का जीवित न होना।
- मान्यता प्राप्त संस्था द्वारा जॉब कार्ड का सत्यापन न किया जाना।
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच डाटा का मिलान न होना।
इन सभी पहलुओं पर राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर काम करती हैं और इस प्रक्रिया को संभालती हैं।
ग्रामीण संकट का सच
Sansad लोकसभा में एमजीएनआरईजीएस (MGNREGS) के तहत रोजगार मांग को लेकर एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया। सरकार ने इस पर कहा कि ग्रामीण संकट को मापने के वास्तविक संकेतक के रूप में MNREGA की मांग पर विचार नहीं किया जा सकता। आर्थिक सर्वेक्षण में भी यह कहा गया था कि MNREGA की बढ़ी हुई मांग हमेशा ग्रामीण संकट का सही संकेतक नहीं होती है।
आधार आधारित सिस्टम पर विरोध
विपक्षी दलों ने आधार आधारित भुगतान प्रणाली और जॉब कार्ड डिलीटions के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई थी। वे इस बात का विरोध कर रहे हैं कि ये प्रक्रियाएँ गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में समस्याएँ पैदा कर रही हैं, जहां लाभार्थियों के पास सही दस्तावेज या आधार कार्ड की जानकारी नहीं है।
Sansad में गतिरोध समाप्त; संविधान पर चर्चा होगी
Sansad में हुए इस बहस के बाद, केंद्र सरकार ने MNREGA के संचालन में अपनी भूमिका को स्पष्ट किया है, लेकिन विपक्ष और विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता अब भी इस योजना के तहत उठाए गए कदमों पर सवाल उठाते हुए सुधार की मांग कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह सुधार सिर्फ पारदर्शिता और निगरानी के उद्देश्य से किए गए हैं, जबकि विपक्ष इसे गरीबों और किसानों के लिए एक और कठिनाई मानता है।