संजय निषाद के नरम पड़े सुर, सीएम योगी आदित्यनाथ से की मुलाकात, कहा- वो हमारे अभिभावक
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने यूपी में अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया है।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष और योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। उन्होंने यूपी में अधिकारियों पर मनमानी का आरोप लगाया है। इस बीच, उपचुनाव को लेकर उनका बड़ा बयान सामने आया है, जिसमें उनके सुर अब नरम होते दिख रहे हैं। संजय निषाद ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमारे अभिभावक हैं।
संजय निषाद ने अपने बयानों पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हमारे अभिभावक हैं। अफसरों की मनमानी को लेकर वह सीएम योगी के सामने अपनी बात रखेंगे और उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारियों से बात करने पर तुरंत मामले का समाधान होना चाहिए।
उपचुनाव को लेकर किया दावा
उत्तर प्रदेश में जल्द ही दस सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं, जिन्हें लेकर संजय निषाद ने कहा कि हम पहले भी उपचुनाव जीते थे। लोकसभा चुनाव में हम अतिउत्साह में थे, लेकिन इस बार हम फिर से एकजुट होकर पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने दावा किया कि इस उपचुनाव में भी एनडीए जीतेगी और बेहतर परिणाम आएंगे।
कैबिनेट मंत्री ने इस दौरान केंद्रीय बजट 2024-25 का भी समर्थन किया और विपक्षी दलों के विरोध को गलत बताया। उन्होंने कहा कि इस बार विपक्ष के पास बयानबाजी के अलावा कुछ और नहीं बचा है, इसलिए वे इस तरह के बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि बजट और गजट दो ऐसे शब्द हैं जो बहुत महत्वपूर्ण हैं। पिछली सरकारों ने अगर बजट ठीक से पारित किया होता, तो जनता उनसे दूर क्यों होती? उन्होंने कहा कि हम इस बजट का समर्थन करते हैं।
संजय निषाद का यह बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि चुनाव में हार के बाद उन्होंने योगी सरकार की बुलडोज़र नीति पर सवाल उठाए थे और कहा था कि अगर बुलडोजर चलाओगे तो वोट नहीं मिलेगा। बाद में उन्होंने प्रदेश में अफसरों पर मनमानी करने का भी आरोप लगाया, जिससे कार्यकर्ता निराश हो गए और इसका असर चुनाव पर पड़ा। यही नहीं, सीएम योगी और डिप्टी सीएम के बीच खींचतान के बीच, उन्होंने दो दिन पहले ही केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की थी, जिसके बाद अटकलों का बाजार गरम हो गया था।