ये दो बाहुबली नेता अखिलेश यादव के खिलाफ बनाएंगे मोर्चा!
इन दोनों नेताओ की छवि सपा को कर रही थी नुकसान इसलिए अखिलेश यादव ने दिखाया बाहर का रास्ता
एक समय पर समाजवादी पार्टी बाहुबलियों की पार्टी के नाम से जानी जाती थी लेकिन जब से अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं तब से समाजवादी पार्टी की छवि सुधर गई है, हालांकि विरोधी दल समाजवादी पार्टी को अब भी बाहुबलियों के पार्टी के नाम से ही अक्सर तंज कसते है। ऐसा देखा गया है की अखिलेश यादव के समाजवादी पार्टी में आने के बाद से उन्होंने ऐसे नेता जिनकी छवि बाहुबली नेताओं में गिनी जाती है उनसे उन्होंने दूरियां बनानी शुरू कर दी. चाहे हम बात करें मुख्तार अंसारी, डी पी यादव या फिर अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की.
अखिलेश यादव बाहुबली नेताओं से अपनी दूरियां बनाकर रखते हैं और पार्टी से भी उन्हें दूर ही रखते हैं और शायद यही बात शिवपाल यादव और डीपी यादव को जम नहीं रही है तभी पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष के खिलाफ ही दोनों मिल मोर्चा निकालने की तैयारी में है.
दरसअल,प्रदेश में यादव वोट बैंक करीब 12 फीसदी होने का दावा है। इसे मुलायम सिंह यादव ने सपा के झंडे तले गोलबंद किया। वक्त बदला, नई पीढ़ी आई और सियासत ने करवट ली। शिवपाल ने प्रसपा (लोहिया) बनाई। तो पूर्व सांसद डीपी यादव ने राष्ट्रीय परिवर्तन दल बनाया। विधानसभा चुनाव में शिवपाल सपा के विधायक बने, लेकिन अब राहें जुदा हैं। वहीं मुलायम सिंह बीमार हैं। उनकी पीढ़ी के तमाम यादव नेता अलग-थलग हैं। ज्यादातर सपा में तो कुछ भाजपा की ओर रुख कर रहे हैं। कुछ तमाशबीन बने हैं। ऐसे में इन नेताओं को शिवपाल यादव ने गोलबंद करने की रणनीति बनाई है। वह यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के तहत इन्हें एक मंच पर लाने की कोशिश में हैं।
इसका नेतृत्व करेंगे प्रसपा संस्थापक शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद डीपी यादव। दोनों नेता पहले यादव बिरादरी को लामबंद करेंगे। इनकी निगाह सपा और भाजपा से अलग-थलग पडे़ नेताओं पर है। नाम होगा सामाजिक एकजुटता का और काम होगा सियासी ताकत बढ़ाना। अगले चरण में अन्य छोटे दलों को जोड़ा जाएगा। बृहस्पतिवार से शुरू हो रहा यह मिशन सपा और भाजपा को तगड़ा झटका दे सकता है। इसमें प्रदेश के करीब 250 यादव नेताओं को बुलावा भेजा गया है।लखनऊ में मिशन की बैठक बृहस्पतिवार को है। इसमें डीपी यादव, बालेश्वर यादव, सुखराम यादव, मुलायम सिंह के समधी हरिओम यादव सहित तमाम पूर्व सांसद व पूर्व विधायक इकट्ठा होंगे। कार्यक्रम संयोजक शिवपाल यादव का कहना है कि मिशन का उद्देश्य यादव बिरादरी का उत्पीड़न रोकना है। शिवपाल इसे सियासत के बजाय सामाजिक संगठन का नाम दे रहे हैं, लेकिन सियासी नब्ज पर नजर रखने वालों का दावा है कि इस आयोजन के सियासी निहितार्थ हैं। यह गोलबंदी 2024 में होने वाले चुनाव के मद्देनजर है। यह गोलबंदी भाजपा की ओर यादवों के बढ़ते कदम को रोकेगी तो सपा के मूल वोट बैंक में सेंधमारी होना तय है। ऐसे में देखना यह होगा कि यह मिशन कितना कारगर साबित होता है।
शिवपाल यादव और डीपी यादव दोनों नेताओ की छवि ही बाहुबली नेताओं की मानी जाती है, जहां बाहुबली नेता डीपी यादव हत्याकांड जैसे मामलों में जेल जा चुके है तो वहीं शिवपाल यादव को लेकर भी ऐसी चर्चाएं है की सपा कार्यकाल में PWD मिनिस्टर होने के तहत उन्होंने कई गुंडों को आश्रय दिया था खुद शिवपाल यादव का उत्तरप्रदेश में डंका बोलता था।
एक समय था जब डीपी यादव और शिवपाल यादव की तूती बोलती थी लेकिन अब समाजवादी पार्टी में ही इन्हें पूछने वाला कोई नहीं है इसका कारण केवल ये है की अखिलेश यादव अपनी पार्टी में ऐसे नेताओ से दूरियां बना कर रखते है जिनकी छवि समाजवादी पार्टी के लिए हानिकारक होती है।
इसलिए गए थे डीपी यादव जेल!
1970 में अवैध शराब का कारोबार शुरू करने वाले डीपी यादव के ही एक ठेके की जहरीली शराब पीकर करीब 350 लोगों की जान चली गई। यह घटना 1990 की शुरुआत में घटी थी। उसके खिलाफ हत्या के नौ मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा हत्या के प्रयास के तीन, डकैती के दो, अपहरण और फिरौती के कई मामलों समेत, उत्पादन शुल्क एक्ट के तहत भी मामले दर्ज हुए। यही नहीं, उस पर गैंगस्टर, आतंकी और विघटनकारी गतिविधियों के मामले में भी केस दर्ज हुए।
उत्तरप्रदेश में पक्ष और विपक्ष में एक दूसरे के वोट बैंक को साधने के लिए अक्सर नीतियां बनती रहती है लेकिन समाजवादी पार्टी में पार्टी के है कोर वोटर्स को छीनने की तैयारी शुरू हो चुकी है
लेकिन अब तक शिवपाल के सारे लामबंद कोशिशें अखिलेश यादव की लोकप्रियता पर कोई असर नही डाल पायी हैं और न ही अभी इन बाहुबलियों के साथ आने से जनता में कोई आकर्षण दिख रहा है । आपको बता दें शिवपाल इससे पहले ओवेसी राजभर के साथ भी काफ़ी मीटिंग कर चुके हैं लेकिन उसका उन्हें कोई फ़ायदा नही मिला बल्कि राजभर तो ऐन मौक़े पर सपा से गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़े थे ।