तो इसलिए समाजवादी पार्टी हारी विधानसभा का चुनाव, समीक्षा रिपोर्ट में हुआ खुलासा…
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है। नई सरकार ने कार्यभार संभाल लिया है। इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसा माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देगी या ऐसा भी हो सकता है कि समाजवादी पार्टी एक बार फिर से सत्ता में काबिज हो जाए।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव खत्म हो चुका है। नई सरकार ने कार्यभार संभाल लिया है। इस बार के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसा माना जा रहा था कि समाजवादी पार्टी भारतीय जनता पार्टी को कड़ी टक्कर देगी या ऐसा भी हो सकता है कि समाजवादी पार्टी एक बार फिर से सत्ता में काबिज हो जाए।
मगर परिणाम आने के बाद ऐसी कल्पना समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी कभी नहीं की होगी जितना वह चुनाव से पहले जनता के मूड के हिसाब से बता रहे थे। परिणाम आप सभी जानते हैं। समाजवादी पार्टी एक बार फिर सत्ता में काबिज होने से रह गई और भाजपा ने फिर से एक बार बहुमत के साथ यूपी में सरकार बनाई।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिलीं हार के कारणों की समाजवादी पार्टी ने समीक्षा करवाई और हारे हुए प्रत्याशियों से फीडबैक लिया। जिसमें एक एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट भी पेश की गई। पार्टी ने स्वीकार किया कि टिकट वितरण में देरी, मतदाता सूची में गड़बड़ी, तालमेल का अभाव व लचर रणनीति की वजह से विधानसभा में कई सीटों पर पार्टी प्रत्याशी मामूली अंतर से हारे। इस समीक्षा बैठक में यह तय किया गया कि नई रणनीति से 2024 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा।
अब टिकट के लिए नही मांगे जाएंगे आवेदन:-
इस बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया कि अभी से जनता के बीच रह कर संघर्ष करने वालों को 2027 में मौका दिया जाएगा। अब टिकट के लिए आवेदन नहीं मांगे जाएंगे। हाई कमान सीधे प्रत्याशी तय करेगा।
समाजवादी पार्टी कार्यालय में हारे प्रत्याशियों, प्रकोष्ठों के राष्ट्रीय व प्रदेश अध्यक्षों, कुछ जिलों के जिलाध्यक्षों की मौजूदगी में हुई बैठक में हर पहलू पर चर्चा हुई। ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को कई प्रत्याशियों ने बताया कि उन्हें ऐन मौके पर टिकट दिया गया, जिससे समस्या हुई।
जिसका तत्काल संज्ञान लेते हुए अखिलेश ने कहा कि अब भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में आवेदन के बजाय नियमित तौर पर जनता के बीच रहने वालों को मैदान में उतारा जाएगा।
हारे प्रत्याशियों ने बताया हार का कारण:-
हारे प्रत्याशियों ने बताया कि जिला प्रशासन ने कई विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव परिणामों को प्रभावित किया। मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां कराई गईं। तमाम मतदाताओं के नाम गायब थे।
कई बूथों पर पीठासीन अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध रही। इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि हर विधानसभा क्षेत्र से नियम विरुद्ध नाम कटने वालों का हलफनामा बनवाया जाए और जनहित याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि पहले भी नाम कटने वालों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन तमाम लोग अभी तक सूची नहीं दिए हैं।
300 सीटों के पेश किए गए आंकड़े
बैठक के दौरान सर्वे एजेंसी ने 300 सीटों पर अपनी रिपोर्ट दी। इसमें बताया गया कि 65 विधानसभा क्षेत्रों के तमाम बूथ ऐसे हैं, जहां सपा को भाजपा से एक या दो वोट कम मिले हैं। यदि संबंधित बूथ पर नाम न कटे होते तो वहां सपा प्रत्याशी की जीत थी। एजेंसी ने मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में जागरूक करने में हुई देरी को भी हार की वजह बताया।