Rupee 12 पैसे गिरकर 85.06 के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंचा

Rupee 19 दिसंबर, 2024 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे गिरकर 85.06 के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी मौद्रिक नीति में "हॉकिश" रुख अपनाना है

Rupee 19 दिसंबर, 2024 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे गिरकर 85.06 के ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा अपनी मौद्रिक नीति में “हॉकिश” रुख अपनाना है, जिसके कारण डॉलर में एक व्यापक तेजी आई।

फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति में बदलाव

विदेशी मुद्रा व्यापारियों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 2025 के लिए अपनी आर्थिक पूर्वानुमान में बदलाव किया है, जिससे यह संकेत मिला है कि अमेरिका अपनी मौद्रिक नीति को अधिक सतर्क तरीके से आगे बढ़ाएगा। फेडरल रिजर्व का यह कदम अमेरिकी डॉलर को मजबूत करने का कारण बना, जिससे उभरती हुई बाजारों की मुद्राएं, जैसे भारतीय रुपया, दबाव में आ गईं।

उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर

फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति में सख्ती की उम्मीदों ने वैश्विक स्तर पर डॉलर को मजबूती प्रदान की है। विशेष रूप से उभरती अर्थव्यवस्थाएं, जिनमें भारत भी शामिल है, इन परिस्थितियों में कमजोर होती हैं क्योंकि अमेरिकी डॉलर में वृद्धि होने पर इन देशों की मुद्राओं पर दबाव बढ़ता है। इसका असर सीधे तौर पर रुपये पर पड़ा, जो पहले ही कमजोर चल रहा था और अब और अधिक गिर गया।

रुपये की स्थिति और भविष्यवाणी

भारत के लिए यह स्थिति चिंताजनक हो सकती है, क्योंकि Rupee का लगातार गिरना आयातित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि कर सकता है, जिससे महंगाई बढ़ेगी। इसके साथ ही, विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बाजार में निवेश करना महंगा हो सकता है, क्योंकि रुपये की गिरावट उनके निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।

फॉरेक्स बाजार की प्रतिक्रिया

फॉरेक्स बाजार में Rupee की गिरावट ने व्यापारियों और निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि अगर फेडरल रिजर्व की नीति में सख्ती बनी रहती है, तो रुपये पर दबाव बढ़ सकता है और आने वाले महीनों में यह गिरावट जारी रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से हस्तक्षेप की संभावना बनी रहती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में रुपये के और गिरने की आशंका है।

Rupee

Gold की कीमतों के कारण भारतीय हल्के और कम कैरेट के गहनों की ओर रुख कर रहे हैं

Rupee का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले गिरकर 85.06 का ऐतिहासिक निम्नतम स्तर पर पहुंचना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चेतावनी है। फेडरल रिजर्व के रुख में बदलाव ने डॉलर को मजबूत किया है, जिससे उभरती हुई बाजारों की मुद्राओं पर दबाव बना है। आने वाले समय में रुपये की स्थिति पर यह दबाव जारी रह सकता है, और भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियां इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

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