नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर निकलने के फैसले के पीछे है मोहन भागवत?
नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर करने के बाद सियासद और आम जनता की चर्चा बढ़ती जा रही है।
नितिन गडकरी को संसदीय बोर्ड से बाहर करने के बाद सियासद और आम जनता की चर्चा बढ़ती जा रही है। कोई भी इस फैसले पर विश्वास नही कर रहा की भाजपा ने नितिन गडकरी जैसे नेता को चुनाव बोर्ड से बाहर कर दिया । इसके ऊपर टाइम्स ऑफ इंडिया में एक खबर जाहिर की गई है जिसमे बताया गया की किस प्रकार आरएसएस के कहने पर नितिन गडकरी को भाजपा से बाहर निकाला गया। नितिन गडकरी के गैर जरूरी और चुटकुले भरे बयानों को पसंद नही किया जाता था पार्टी एवम आरएसएस द्वारा, जिसके चलते उन्हें कई बार चेतावनियां भी दी गई थी। उनके बयान इस दर लगते थे की वह भाजपा के नेता होने के बाद भी उनके विपक्षी है , उनके इन बयानों का फायदा विपक्ष भी उठा लेता थी। खबर द्वारा ये भी पता लगा की आरएसएस ने ही भाजपा को इस फैसले का सुझाव दिया। नितिन गडकरी नागपुर के रहने वाले आरएसएस के करीबी होने के बाद भी आरएसएस है उनके विरोधी। नितिन गडकरी इकलौते नेता है जो भाजपा में होने के बाद भी भाजपा से अलग बोली बोलते है , नही तोह आरएसएस और भाजपा के नेता की बोली भाजपा और मोदी के जैसी ही होती है। नितिन गडकरी ने एक बार यह बयान भी दिया था की उनका मन अब संसद से खत्म हो चुका है। उनके एक बयान जिसमे उन्होंने कहा था ” की मेरी दिल से मनोकामना है कि कांग्रेस पार्टी एक रहे “इस बयान पर काफी चर्चा हुई थी भाजपा और आरएसएस एवम पूर्ण संसद बीच।