“आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है” सुप्रीम कोर्ट ने NEET रजिस्ट्रेशन मामले पर सुनवाई करते हुए कहा
आज सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े मामले पर सुनवाई करते हुए कहां है की आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है। तमिलनाडु में NEET पोस्ट ग्रेजुएशन रिजर्वेशन मामले में अदालत ने आज कहां है कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है। अदालत ने तमिलनाडु के कई राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल की गई एक याचिका को स्वीकार करने से इंकार भी कर दिया है। बता दें कि DMK-CPI-AIADMK सहित अन्य तमिलनाडु की कई पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में NEET के तहत मेडिकल कॉलेज में सीटों को लेकर तमिलनाडु में 50 फ़ीसदी ओबीसी आरक्षण के मामले पर याचिका दायर की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई थी।
जिस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इस मामले में किस का मौलिक अधिकार छीना गया? आप की दलीलों से लगता है कि आप सिर्फ तमिलनाडु के कुछ लोगों की भलाई की बात कर रहे हैं। डीएमके की ओर से अदालत में कहा गया कि हम अदालत से ज्यादा आरक्षण जोड़ने को नहीं कह रहे हैं बल्कि जो है उसे लागू करवाने को कह रहे हैं।
इस दौरान जस्टिस राव ने कहा कि आरक्षण कोई बुनियादी अधिकार नहीं है आप सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले और हाईकोर्ट में दाखिल करें। इस दौरान टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें खुशी है कि एक मसले पर सभी राजनीतिक दल एक साथ आए हैं लेकिन हम इस याचिका को नहीं सुनेंगे। हालांकि हम इसे खारिज नहीं कर रहे हैं और आपको सुनवाई का मौका हाई कोर्ट के सामने दे रहे हैं।