मंदिर धुलवाने की याद आई:”SC-ST कोटा बंटवारे पर जीतन मांझी और चिराग पासवान में तीखी बहस”
चिराग पासवान ने जीतनराम मांझी पर हमला करते हुए कहा कि जो लोग एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का समर्थन कर रहे हैं, वे खुद जब मंदिर गए थे, तो मंदिर को गंगा जल से धुलवाया था।
सुप्रीम कोर्ट के एससी और एसटी आरक्षण में सब कैटगरी और क्रीमी लेयर बनाने के फैसले पर बिहार एनडीए में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (HAM) इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं। HAM के प्रमुख जीतनराम मांझी ने एससी-एसटी आरक्षण में सब-कैटगरी और क्रीमी लेयर का समर्थन किया, जबकि लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान ने उन्हें मंदिर धुलवाने की याद दिलाई। दोनों नेता अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
चिराग पासवान ने गुरुवार को पटना में मीडिया से बात करते हुए बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पर हमला किया। उन्होंने 2014 की एक घटना का हवाला देते हुए कहा कि जब मांझी मंदिर गए थे, तो उनके बाहर आने के बाद मंदिर को गंगा जल से धुलवाया गया था। चिराग ने यह सवाल उठाया कि अगर एक पूर्व मुख्यमंत्री के साथ ऐसा हो सकता है, तो सामान्य लोग कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि क्रीमी लेयर जैसे प्रावधान लागू हों।
जीतनराम मांझी ने सोमवार को कहा कि पिछले 76 सालों से केवल चार जातियों ने ही एससी आरक्षण का पूरा लाभ उठाया है। चिराग पासवान का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि जो लोग इस पर आपत्ति कर रहे हैं, उनके पास सबकुछ है। लेकिन भुइयां, मुसहर, डोम और मेहतर जैसी जातियों के कितने आईएएस, आईपीएस अफसर या इंजीनियर हैं, यह बताने की जरूरत है।
चिराग ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद उन्होंने अनुसूचित वर्ग के संगठनों और सांसदों से बात की है। वह आने वाले दिनों में दलित समाज से आने वाले सांसदों के साथ एक सर्वदलीय बैठक करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में छुआछूत का कोई जिक्र नहीं है, जबकि अनुसूचित जातियों को आरक्षण छुआछूत की वजह से ही मिला था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें एससी और एसटी वर्ग में ओबीसी की तर्ज पर सब-कैटगरी बनाने और क्रीमी लेयर लागू करने की मंजूरी दी। इसका मतलब है कि आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों को आरक्षण के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा। इस फैसले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष की पार्टियों के बीच मतभेद साफ नजर आ रहे हैं।
चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामविलास ने इस फैसले का विरोध किया, जबकि महादलित वर्ग को समर्थन देने वाली जीतनराम मांझी की पार्टी ने इसका समर्थन किया।