वित्त मंत्री के बजट भाषण से सभी वर्गों को ढेर सारी उम्मीदें, जानें Corona काल में क्या हुए बदलाव
कोरोना काल में संसद का बजट सत्र शुरु हो चुका है। इसी कड़ी में 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेगी। इस बजट को लेकर सभी को उम्मीद है। दरअसल जब भी बजट सामने आता है तो उसमें सरकार की नीति झलकती है। यह देखा जाता है कि आखिर सरकार कौन-से सेक्टर में अगले 1 साल में ध्यान देगी। आमतौर से बजट में खर्च और आमदनी का ब्योरा रखा जाता है।
बता दें कि कभी बजट शाम के 5 बजे पेश किये जाते थे। लेकिन यह परंपरा पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के समय टूट गई। साल 1998 से यह बजट सुबह 11 बजे ही पेश किये जाने लगे। जो परंपरा आज भी कायम है। हालांकि पहले जो बजट पेश किये जाते थे उसका समय निर्धारण अंग्रेजों ने ही किया था। जिसके अनुसार ब्रिटेन में शेयर मार्केट के खुलने के समय ही भारत में शाम में बजट पेश किया जाता था।
वहीं बजट से जुड़े एक और बदलाव एनडीए के शासनकाल में ही देखने को मिला। जब साल 2016 से आम बजट के साथ ही रेल बजट को मिला दिया गया। यानी अब अलग से रेल बजट नहीं पेश किये जाते है। वहीं अब आम बजट पेश हर साल 1 फरवरी को पेश किया जाता है। ऐसे में कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चुनौती के बीच केंद्र सरकार के इस बजट पर सबकी नजर है। जो संसद भवन में बजट पेश किये जाते है वो कहीं न कहीं सबके जीवन को प्रभावित करता है। फिर वो आम जन हो या खास तबका,नौकरी पेशा या फिर व्यापारी वर्ग- सभी बजट को हमेशा से आशा भरी नजर से देखते है। ताकि उसके तरक्की का रास्ता साफ हो सकें। कोरोना काल के बीच पेश होने वाले बजट में एक महत्वपूर्ण बदलाव जो देखने को मिल रहा है वो कि पेपरलेस बजट पेश होगा। यह बजट पहली बार डिजिटल होगा। इस बार बजट दस्तावेज का छपाई नहीं किया गया।