बिना समाजवाद के रामराज्य संभव नहीं– अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश –इस वक्त पूरे देश की निगाहें उत्तर प्रदेश के विधानसभा सत्र पर हैं और हो भी क्यों ना क्योंकि देश का सबसे बड़ा राज्य है। वहीं आज विधानसभा में नेता अखिलेश यादव ने नीति आयोग के आंकड़ों के हवाले से विकास की दिशा में उत्तर प्रदेश को बहुत पीछे कहा कि सबका साथ, सबका विकास या राम राज्य, बिना समाजवाद के संभव नहीं है। प्रश्नकाल के बाद वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट प्रावधानों पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार का यह सातवां बजट है। और हर साल सरकार ऐतिहासिक और सबसे बड़ा बजट पेश करने का दावा करती है। लेकिन इतने बजट पेश करने के बाद भी उत्तर प्रदेश की स्थिति कई मानकों पर अभी सुधरी नहीं है।
आयोग के आंकड़े गिनाए और कहा पूरे देश और उत्तर प्रदेश की जनता को एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का सपना दिखाया जा रहा है। सरकार अगर यह सपना देख रही है तो उसे नीति आयोग की सतत विकास लक्ष्य की रिपोर्ट देखनी चाहिए कि उसमें उत्तर प्रदेश की क्या स्थिति है।गरीबी की रेखा से नीचे वाले 28 राज्यों की सूची में यूपी नीचे से चौथे नंबर पर है।
उन्होंने नीति आयोग की 2020-21 की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि रिपोर्ट में गरीबी की रेखा से नीचे वाले 28 राज्यों की सूची में यूपी नीचे से चौथे नंबर पर है।भुखमरी समाप्त करने में उप्र पांचवें नंबर पर है।गुड हेल्थ में नीचे से दूसरे नंबर पर है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में 18वें नंबर पर है।अखिलेश ने इन आंकड़ों के जरिये सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, सरकार को समाजवादी सिद्धांत को समझना होगा।सबका साथ, सबका विकास या राम राज्य बिना समाजवाद के संभव नहीं।
साथ ही अखिलेश ने कहा मैंने रामचरितमानस के बारे में नहीं पूछा था। बल्कि यह पूछा था कि शुद्र क्या है? जब कोई घर से गया तो क्या गंगाजल से घर धोया जाता है, ये क्या दिखाता है। क्या नेता सदन ये बताएंगे कि शुद्र गलत है। हम रामचरितमानस के खिलाफ नहीं है। ये किसने कहा, भगवान सबके हैं, केवल आप चंदा लेते हैं तो क्या आप ही हो जो भगवान? इसलिए हम जातिगत जनगणना चाहते हैं।अखिलेश यादव ने आगे कहा कि कई देशों में मंत्री घूमने गए क्या उन्हें वहां पर सड़कों पर आवारा पशु घूमते दिखाई दिए।प्रदेश में 11 लाख से ज्यादा छुट्टा जानवर हैं और 750 करोड़ बजट रखा है। ऐसे में जनता त्रस्त है व्याकुल है चारों तरफ भ्रष्टाचार की खेप दिखाई दे रही है।किसान और युवा परेशान हैं।