रामदेव के पतंजलि स्कूल पर छत्तीसगढ़ के 4 छात्रों को बंधक बनाने का आरोप, जाने पूरा मामला
योग गुरु स्वामी रामदेव के साथ विवादों का नाता खत्म नहीं हो रहा है. ताजा मामला स्वामी रामदेव के वैदिक शिक्षण संस्थान गुरुकुलम से जुड़ा है, जिस पर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के कुछ अभिभावकों ने अपने 4 बच्चों को हरिद्वार स्थित गुरुकुलम में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया है. बताया जा रहा है कि अभिभावकों ने हरिद्वार के जिलाधिकारी और मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर मदद मांगी थी जिसमें अभिभावकों ने कहा कि 4 बच्चों को परिजनों को सौंपने के लिए गुरुकुलम प्रबंधन की ओर से 50 हज़ार रुपए प्रति छात्र सिक्योरिटी मनी मांगी गई. इस पत्र की कॉपी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है. इस मामले को लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट भी किया है. आपको बता दें कि अभी रामदेव और आईएमए के बीच चल रहा विवाद शांत नहीं हुआ है. आईएमए ने रामदेव के खिलाफ केस दर्ज कराया है.
सीएम बघेल ने ट्वीट करके कहा है कि पतंजलि गुरुकुल स्कूल में छत्तीसगढ़ के 4 छात्रों को बंधक बनाए जाने की शिकायत मुझ तक पहुंची थी. गरियाबंद कलेक्टर और एसपी की पहल पर बंधक बनाए गए बच्चों को छोड़ दिया गया है. मैं बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं. बताया जा रहा है कि अभिभावकों ने हरिद्वार के जिलाधिकारी और मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर मदद मांगी थी. इस पत्र की कॉपी सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है.
इसके बाद छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बच्चे गुरुकुलम से मुक्त कराया जाए सके. वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के ट्वीट के बाद हलचल तेज हो गई है. हरिद्वार के जिलाधिकारी का पूरे मामले पर कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है. इस पर संबंधित संस्थान से बात की गई है और अधिकारियों को भी जांच करने के निर्देश दिए गए हैं.
क्या है रामदेव और आईएमए के बीच का विवाद
बीते रविवार को रामदेव को उस वायरल वीडियो क्लिप में दिए गए उस बयान को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था जिसमें वह कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल की जा रही कुछ दवाओं पर सवाल उठाते और यह कहते सुने गए थे कि ‘कोविड-19 के लिए एलोपैथिक दवाएं लेने से लाखों लोग की मौत हो गई.’ इस टिप्पणी का डॉक्टरों के संघ ने जोरदार विरोध किया, जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उनसे ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बयान वापस लेने के लिए कहा. एक दिन बाद, योग गुरु ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक ‘खुले पत्र’ में आईएमए से 25 प्रश्न पूछे. इसमें पूछा गया था कि क्या एलोपैथी ने उच्च रक्तचाप और टाइप -1 और टाइप-2 मधुमेह जैसी बीमारियों के लिए स्थायी राहत प्रदान की है. उन्होंने पार्किंसंस रोग जैसी आधुनिक समय की बीमारियों को सूचीबद्ध किया और सवाल किया कि क्या एलोपैथी में इंफर्टिलिटी (बांझपन) का बिना दर्द का इलाज है. इसके बाद, रामदेव के करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने इसे साजिश बताते हुए कहा कि आईएमए संगठन के तहत एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा रामदेव और आयुर्वेद को निशाना बनाया जा रहा है.
रामदेव के खिलाफ आईएमए ने दर्ज कराया केस
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने गुरुवार को योग गुरु रामदेव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए एलोपैथी पर उनके ‘भ्रामक एवं गलत बयानी’ को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की. आईएमए ने आईपी एस्टेट पुलिस थाने में दी गई अपनी शिकायत में कहा कि रामदेव ने कोविड-19 संक्रमित व्यक्तियों का स्थापित और अनुमोदित तरीकों एवं दवाओं से इलाज के बारे में ‘‘जानबूझकर एवं सोच समझकर झूठी, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण जानकारी फैलायी.’’
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें शिकायत मिली है और जांच की जा रही है.’’ आईएमए की नौ मई की शिकायत में कहा गया है, ‘‘स्वामी रामदेव ने कोविड की स्थिति का लाभ उठाने के लिए अपने गुप्त उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के वास्ते सार्वजनिक मंच पर एलोपैथिक दवाओं और कोविड-19 वायरस के लिए आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अन्य संबद्ध उपचार तकनीकों के संबंध में भ्रामक और गलत बयानी की है.’’
आईएमए ने प्रधानमंत्री को भी लिखा पत्र
आईएमए ने इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की थी कि टीकाकरण पर कथित गलत जानकारी फैलाने और कोविड-19 के इलाज के लिए सरकारी प्रोटोकॉल को चुनौती देने के लिए योग गुरु रामदेव के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों के तहत तुरंत मामला दर्ज किया जाए.
आधुनिक चिकित्सकों के शीर्ष निकाय आईएमए ने रामदेव को एलोपैथी और एलोपैथी चिकित्सकों के खिलाफ उनकी कथित अपमानजनक टिप्पणी के लिए मानहानि का नोटिस भी दिया है, जिसमें उनसे 15 दिनों के भीतर माफी मांगने की मांग की गई है। आईएमए ने अपने नोटिस में कहा है कि यदि रामदेव ने ऐसा नहीं किया जो तो वह योग गुरु से 1,000 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग करेंगे.