Rajnath Singh ने दिया शांति का संदेश :’बुद्ध के सिद्धांतों से निकलेगा युद्ध का समाधान’
Rajnath सिंह ने हाल ही में लाओस दौरे पर अपने संबोधन में कहा कि दुनिया भर में बढ़ते युद्धों और अंतरराष्ट्रीय तनाव के समाधान के लिए भगवान बुद्ध के शांति
भारत के रक्षा मंत्री Rajnath सिंह ने हाल ही में लाओस दौरे पर अपने संबोधन में कहा कि दुनिया भर में बढ़ते युद्धों और अंतरराष्ट्रीय तनाव के समाधान के लिए भगवान बुद्ध के शांति और सहअस्तित्व के सिद्धांतों को अपनाया जाना चाहिए। उनका यह बयान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्व के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष और मतभेद गहरे होते जा रहे हैं। राजनाथ सिंह ने इस मौके पर भारत के दृष्टिकोण को भी साझा किया, जिसमें हमेशा संवाद और बातचीत के रास्ते को प्राथमिकता दी गई है।
बुद्ध के शांति सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता
लाओस की राजधानी वियनतियाने में आयोजित 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (ADMM Plus) में Rajnath सिंह ने कहा कि आज का विश्व तेजी से विभिन्न खेमों में बंट रहा है, जिससे वैश्विक शांति और स्थिरता को खतरा उत्पन्न हो रहा है। उन्होंने इस संकट से बाहर निकलने के लिए भगवान बुद्ध के सिद्धांतों पर जोर दिया, जिनमें शांति, अहिंसा, और सहअस्तित्व का मार्ग बताया गया है।
Rajnath सिंह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि दुनियाभर में बढ़ते हुए तनाव और सैन्य टकराव को देखते हुए बुद्ध के आचार्यों का संदेश बेहद प्रासंगिक है। भगवान बुद्ध ने कभी भी युद्ध या हिंसा को समाधान का तरीका नहीं माना, बल्कि उन्होंने बातचीत, समझ और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को प्राथमिकता दी। अगर हम उनके सिद्धांतों को वास्तविकता में उतारते हैं, तो यह वैश्विक युद्धों और संघर्षों के समाधान में सहायक हो सकता है।
भारत का दृष्टिकोण: हमेशा संवाद का रास्ता अपनाया
Rajnath सिंह ने भारत के कूटनीतिक दृष्टिकोण को भी स्पष्ट किया, जिसमें बातचीत और संवाद को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को हल करने के लिए संवाद और कूटनीतिक प्रयासों का मार्ग अपनाया है। भारत ने कभी भी किसी समस्या का समाधान युद्ध या संघर्ष से नहीं किया, बल्कि विश्वास और सहयोग के आधार पर बातचीत की दिशा में आगे बढ़ा है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत का विश्वास है कि किसी भी प्रकार की असहमति या मतभेद को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जा सकता है, जैसा कि भारत की विदेश नीति में हमेशा देखा गया है। राजनाथ सिंह के अनुसार, भारत का यह दृष्टिकोण न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है, बल्कि यह वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
आसियान रक्षा मंत्री बैठक: तनाव और ध्रुवीकरण पर चिंता
आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक में Rajnath सिंह ने यह भी चिंता जताई कि दुनिया में विभिन्न क्षेत्रों और देशों के बीच तेजी से ध्रुवीकरण हो रहा है। यह खेमेबंदी विश्व में तनाव और अस्थिरता का कारण बन रही है, जिससे वैश्विक सुरक्षा को गंभीर खतरे का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने सदस्य देशों से आह्वान किया कि हम सभी को मिलकर शांति और सहअस्तित्व की दिशा में कदम बढ़ाने चाहिए।
यह बैठक खास महत्व रखती है, क्योंकि इसमें एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों के रक्षा मंत्रियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राजनाथ सिंह ने इस मंच से भी यह संदेश दिया कि क्षेत्रीय विवादों को शांति से सुलझाने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना चाहिए।
भारत की भूमिका: वैश्विक शांति का प्रहरी
Rajnath सिंह का यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि भारत वैश्विक शांति के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। भारतीय रक्षा मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत ने हमेशा सहयोग, संवाद और शांति के सिद्धांतों का पालन किया है और वह भविष्य में भी इसी मार्ग पर चलता रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने कभी भी वैश्विक विवादों में हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि हमेशा शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया।
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बुद्ध का संदेश आज भी प्रासंगिक
Rajnath सिंह का यह बयान वैश्विक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश है। बुद्ध के शांति और सहअस्तित्व के सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। दुनिया को यदि युद्धों और संघर्षों से बचाना है, तो सभी देशों को बुद्ध के मार्ग पर चलना होगा और सहमति और संवाद के रास्ते पर चलने का संकल्प लेना होगा।