राजभर बोले- अखिलेश यादव ही बनेंगे यूपी के अगले मुख्यमंत्री
मुख्तार अंसारी से मुलाकात पर किया बचाव
नई दिल्ली. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत की है. बातचीत में उन्होंने यह भी साफतौर पर दावा किया है कि 2022 में यूपी चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जीत दर्ज करके अगले मुख्यमंत्री बनेंगे. यूपी की बीजेपी सरकार में मंत्री रहे राजभर ने यह भी दावा किया है कि बीजेपी अब तीन खेमों में बंट चुकी है और तीनों उसे अलग अलग दिशा में ले जा रहे हैं.
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बांदा जेल में आप माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी से मिले थे…
इस समय इस देश में अपराधियों पर चयनात्मक कार्रवाई होती है, जो उनकी जाति और धर्म से तय होती है. बीजेपी सरकार पिछड़ों और दलितों के साथ-साथ मुसलमानों और ब्राह्मणों को भी निशाना बना रही है. मैंने कई बड़े माफिया को देखा है, जो जेल में हैं और यह सरकार उन्हें मिठाई खिला रही है. मैं मुख्तार अंसारी को लंबे समय से जानता हूं. मैं मुख्तार अंसारी से बांदा जेल में सात बार मिला था, जब मैं योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री था. जब अंसारी पंजाब में थे तो मैं उनसे आठ बार मिला. जब मैं बीजेपी के साथ था तो उसे तब कोई समस्या नहीं हुई.बीजेपी के साथ रहने पर कोई भी अपराधी नहीं है, चाहे वह कुछ भी करे. संजय निषाद ने हाल ही में कहा था कि भगवान राम राजा दशरथ के पुत्र नहीं थे. क्या बीजेपी में उनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत है? डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने एक बार सीता माता को टेस्ट ट्यूब बेबी बताया था. क्या बीजेपी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की? बीजेपी में बड़े अपराध पर बड़ा इनाम दिया जाता है. बीजेपी को यह नहीं पता कि जब मैं उनके साथ था, तब भी लगभग 12,000 मुसलमानों ने मुझे वोट दिया था. अगर उन्होंने मुझे वोट नहीं दिया होता तो मैं नहीं जीता होता.
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समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद आप पूर्वांचल में सुभासपा को कितना मजबूत मानते हैं?
सुभासपा और सपा ने मिलकर मऊ में एक छोटा कार्यक्रम किया था. इसके बाद पूरे राज्य में बीजेपी बैकफुट पर चली गई थी. इस कार्यक्रम के बाद अमित शाह यूपी आए थे. इसके बाद योगी जी आजमगढ़ गए थे और कहा था कि अमित शाह की मांग पर राज्य विश्वविद्यालय का नाम राजा सुहेलदेव के नाम रखने का निर्णय लिया गया है. ये सब जुमला पार्टी के लोग हैं.सोशल जस्टिस कमेटी की रिपोर्ट अभी तक कार्यान्वित नहीं की गई है. अमित शाह दो बार लखनऊ आए और योगी आदित्यनाथ और मेरे साथ बैठक की. रिपोर्ट तैयार थी, लेकिन करीब ढाई साल बाद भी योगी आदित्यनाथ ने अमित शाह के सुझाव को नहीं माना. अब योगी आदित्यनाथ अमित शाह की क्यों सुनेंगे? आजमगढ़ राज्य विश्वविद्यालय का नाम बदलकर राजा सुहेलदेव के नाम पर करना उनका एक और जुमला है. जैसे कि वोट कि उन्होंने 15 लाख रुपये का वादा किया था.
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बीजेपी का 100 दलितों और उनके परिवारों के साथ चाय पीने की रणनीति को आप कैसे देखते हैं?
जब बीजेपी को वोट चाहिए होते हैं तो वे दलितों के पैर धोकर वो पानी भी पी लेते हैं. लेकिन जब दलित की बेटी के साथ रेप होता है तो आधी रात को लाश को जला दिया जाता है और अपराधियों को बीजेपी से बचा लिया जाता है. बीजेपी की हरकतें ‘गले में माला, विचारों पर ताला’ जैसी हैं.सोशल जस्टिस की रिपोर्ट को लागू नहीं करने के पीछे आप किसे जिम्मेदार मानते हैं? मैं इसके लिए बीजेपी और योगी आदित्यनाथ, दोनों को जिम्मेदार मानता हूं. बीजेपी में इस समय तीन लॉबी हैं. पहली लॉबी योगी और आरएसएस की, दूसरी में अमित शाह की टीम और केशव मौर्य की, जबकि तीसरी लॉबी ब्राह्मणों की है. योगी और केशव मौर्य के बीच विवाद हो गया है, जिसके बाद आरएसएस के लोगों ने बीच-बचाव किया. हालांकि, स्थिति बिगड़ गई. तीन लॉबियों में से एक योगी को हराने का काम कर रही है, दूसरी बीजेपी की जीत के लिए काम कर रही है, जबकि तीसरा एक ब्राह्मण को राज्य का सीएम बनाने का काम कर रहा है.
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आपने उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 के लिए सपा को सहयोगी के रूप में क्यों चुना?
मुझे 100 फीसदी यकीन है कि अखिलेश जी राज्य के अगले सीएम बनेंगे. हमने सपा के साथ गठबंधन किया क्योंकि यह एकमात्र पार्टी है जो बीजेपी से लड़ने की स्थिति में है. कांग्रेस और बसपा नहीं हैं. सपा के पक्ष में लहर है और लोग बदलाव चाहते हैं. हमारी पार्टी और अन्य सहयोगियों के लोगों ने हमें समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने का सुझाव दिया. गठबंधन अब तक राजनीतिक नेताओं द्वारा किया जाता था, लेकिन इस बार लोगों की मांग के आधार पर गठबंधन बनाया गया है.
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अब क्या होगा भागीदारी संकल्प मोर्चा का भाग्य?
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प्रेम चंद्र प्रजापति, बाबू रामपाल, रामसागर बिंद, अनिल चौहान, सतीश बंजारा और प्रेम चंद कश्यप सहित भागीदारी संकल्प मोर्चा के कई लोग हैं. हमारी अगली बड़ी बैठक 27 नवंबर को लखनऊ अंचल के हरदोई जिले के संडीला विधानसभा के भरवां प्रखंड के झावर का मैदान में होगी. हम कम से कम 5 लाख लोगों की भीड़ की उम्मीद कर रहे हैं. अखिलेश यादव और मेरे साथ हमारा पूरा मोर्चा होगा.
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सुभासपा और सपा के एक साथ आने से उत्तर प्रदेश की राजनीति कैसे बदल गई है?राजभर ऐसा दांव लगाया है कि सब सही हो जाएगा. हमने उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदल दिया. एक न्यूज चैनल है जो बीजेपी को 270 सीटें दे रहा था जब हमारे गठबंधन की घोषणा होनी बाकी थी. गठबंधन फाइनल होने के बाद उसी चैनल ने बीजेपी को 230 सीटें देना शुरू किया. हमारे गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद चैनल ने बीजेपी को सिर्फ 212 सीटें दीं.चुनाव में लगभग छह महीने बचे हैं और अगर वे हर महीने 15 सीटें कम करते रहे तो पता नहीं बीजेपी कहां गायब हो जाएगी. प्रदेश की जनता अब बदलाव चाहती है. वे महंगाई, भ्रष्टाचार, अधिक बिजली बिल और बीजेपी सरकार के गुंडा राज से तंग आ चुके हैं. लोग जाति आधारित जनगणना भी चाहते हैं और अब वे इस सरकार को बदलने पर अड़े हैं.