लव इन रिलेशनशिप में रहने वाली विवाहित महिला मांग रही थी पुलिस सुरक्षा, राजस्थान हाई कोर्ट ने किया इनकार

 

राजस्थान हाई कोर्ट (Rajsthan high court) ने लिव इन रिलेशनशिप (live in relationship) में रहने वाली एक विवाहित महिला को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप इस देश के सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर नहीं हो सकते हैं।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक विवाहित महिला को पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। दरअसल, यह महिला किसी अन्य शख्स के साथ लिव इन रिलेशनशिप ((Live In Relationship) में रहती है। महिला ने कुछ रिश्तेदारों से पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। महिला का आरोप है कि वे उसके रिश्ते से खुश नहीं हैं और दोनों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर जताया भरोसा

न्यायमूर्ति सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया आदेश पर भरोसा जताया है। बता दें कि हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने प्रेमी संग रहने वाली विवाहित महिला द्वारा पुलिस सुरक्षा मांगने की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने महिला पर 5 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया था।

हिंदू विवाह अधिनियम का उल्लंघन

हाई कोर्ट ने कहा कि महिला पहले से ही शादीशुदा थी और किसी अन्य पुरुष के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थी, जो हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान के विपरीत है। कोर्ट ने कहा कि क्या हम ऐसे लोगों को संरक्षण देने का आदेश नहीं दे सकते हैं, जिन्होंने दंड संहिता व हिंदू विवाह अधिनियम का खुला उल्लंघन किया हो।

ऐसे मामलों में नहीं मिल सकता संरक्षण

कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 21 सभी नागारिकों को जीवन की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता कानून के दायरे में होनी चाहिए तभी संरक्षण मिल सकता है। महिला को पहले अपने पूर्व विवाह को खत्म करना होगा। इसके बाद ही कोर्ट ऐसे इस मामले पर कुछ विचार कर सकता है। अगर महिला का पति संग कोई मतभेद है तो वह अलग विषय है।

 

गौरतलब है, महिला ने कोर्ट में सुरक्षा की मांग करत हुए दावा किया था कि उसे अपना वैवाहिक घर छोड़ने के लिए मजबूर किया गया है। वर्तमान में महिला अपने प्रेमी संग लिव इन रिलेशनशिप में रह रही है। महिला ने अपने रिश्तेदारों से असुरक्षा की बात कहते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

कोर्ट ने किया सामाजिक ताने-बाने का जिक्र

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का जिक्र करते हुए, कोर्ट ने कहा कि हम लव इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हम मानते हैं कि लिव-इन रिलेशनशिप इस देश के सामाजिक ताने-बाने की कीमत पर नहीं हो सकते हैं।

 

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