विधानसभा सत्र बुलाए जाने को लेकर अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने दिया बयान, जानिए
राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच अब राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि इसके लिए संवैधानिक तौर तरीकों का पालन किया जाना चाहिए। राज्यपाल सत्र बुलाने पर सहमत है मगर संवैधानिक तौर तरीकों के अनुसार विधानसभा का सत्र बुलाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने सत्र बुलाने के लिए अशोक गहलोत सरकार के सामने तीन बिंदु रखते हुए फिर से जवाब मांगा है।
राजस्थान के राज्यपाल ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल बुलाया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने गत 30 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा है। जारी बयान में कहा गया है कि कैबिनेट के प्रस्ताव पर राज्यपाल ने कानूनी सलाह ली। संविधान के अनुच्छेद 174 (1) के अंतर्गत राज्यपाल साधारण परिस्थितियों में कैबिनेट की सलाह पर काम करेंगे लेकिन परिस्थितियां विशेष हो तो वह यह सुनिश्चित करेंगे कि संविधान की भावना के अनुरूप काम हो।
राज्यपाल का कहना है कि मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट हो रहा है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है लेकिन सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका कोई उल्लेख नहीं है। यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्प अवधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तियुक्त आधार बन सकता है।
वहीं राज्य सरकार को राजभवन की तरफ से तीन बिंदुओं पर कार्य करने की सलाह दी गई है
विधानसभा का सत्र 21 दिन का क्लियर नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों के अनुसार सभी को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिले।
यदि किसी परिस्थिति में विश्वास मत हासिल करने की विधानसभा सत्र में कोशिश की जाती है तो सभी प्रक्रिया संसदीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव की उपस्थिति में की जाए पूरी प्रक्रिया के दौरान वीडियो को रिकॉर्डिंग की जाए।
विधानसभा सत्र के दौरान क्या ऐसी व्यवस्था है जिसमें 200 विधायक, 1,000 से अधिक अधिकारी कर्मचारी एक साथ एकत्रित हो सके जिसमें संक्रमण का डर ना हो। राज्य विधानसभा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इतने लोगों के बैठने की व्यवस्था नहीं है। जबकि संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम और केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।