राजस्थान सरकार मंदिरों में करायेगी रामायण और सुंदरकांड के पाठ, जानिये वजह
सभी जिलों के देवस्थान विभाग से दो-दो मंदिरों की सूची मांगी
जयपुर. करौली में बिगड़े सांप्रदायिक सोहार्द्र और कई जिलों में लगाई गई धारा-144 के बीच अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने प्रदेशभर में रामायण और सुंदरकांड का पाठ कराने का निर्णय लिया है. सरकार 10 अप्रेल को रामनवमी पर रामायण पाठ और हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ कराएगी. राजस्थान सरकार ने इसके लिये सभी जिलों के देवस्थान विभाग से दो-दो मंदिरों की सूची मांगी है जहां ये आयोजन कराये जायेंगे. इसकी प्रक्रिया चल रही है.
बता दे कि ये आयोजन राज्य सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन आने वाले प्रत्यक्ष प्रभार वाले मंदिरों में कराये जायेंगे. देवस्थान विभाग की ओर से इसके लिये आवश्यक व्यवस्थायें करने के निर्देश भी दे दिये गये हैं. उसके बाद अब मंदिरों की सूचियां तैयार की जा रही है. बताया जा रहा है कि राजधानी जयपुर में प्रत्यक्ष प्रभार का एक ही राम मंदिर है. यहां रामगढ़ मोड़ स्थित श्रीरघुनाथ जी राधानिवास मंदिर में रामायण पाठ कराया जायेगा.
हालात को काबू रखने के लिए काफी मशक्कत
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इन दिनों जगह-जगह उत्पात हो रहा है और ऐसी घटनाओं पर सियासत भी खूब हो रही है. सियासतदान इन पर राजनीतिक रोटियां सेंकने की जुगत में ज्यादा नजर आ रहे हैं. रोज एक-दूसरे पर बयानबाजियां हो रही हैं. उधर इन दंगों और उत्पात की घटनाओं से राज्य सरकार की चिंता बढ़ी हुई है. हालात को काबू रखने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है और काफी सरकारी मशीनरी भी झोंकनी पड़ रही है.
विपक्ष कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरा
राज्य सरकार की चिंता केवल ये घटनाएं ही नहीं बढ़ा रही बल्कि उसके बाद सियासी दलों द्वारा इन घटनाओं पर दिखाया जाने वाला रुख भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बना है. एक ओर जहां विपक्ष द्वारा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार को घेरा जा रहा है तो सरकार पर बार-बार तुष्टिकरण की नीति अपनाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं. इन आरोपों पर सरकार को बार-बार अपना रुख साफ करना पड़ रहा है. सरकार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई कर संदेश देने की कोशिश कर रही है लेकिन नेताओं-जनप्रतिनिधियों पर कार्रवाई नहीं होने से सवाल अब भी उठ रहे हैं.
कांग्रेस ने भी अपनी तीन सदस्यीय टीम बनाकर जांच
सरकार इस बात को लेकर भी चिंतित है कि कहीं दूसरे इलाकों में भी इस तरह की घटनाएं ना होने लगे. सरकार मामला शांत रखने के लिए फूंक-फूंककर कदम उठा रही है. उधर करौली मामले पर सियासी दल अब घटनास्थल का दौरा कर अपने पक्ष में माहौल तैयार करने की कवायद में जुटे हैं. बीजेपी की टीम करौली में घटनास्थल का मौका मुआयना करने पहुंची तो कांग्रेस ने भी अपनी तीन सदस्यीय टीम बनाकर जांच के लिए करौली भेजी. कांग्रेस द्वारा गठित कमेटी ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप भी दी है.