राजस्थान में भड़का किसान आंदोलन:घड़साना में 10 हजार से ज्यादा किसानों ने SDM दफ्तर घेरा,
DSP समेत 150 जवानों को बंधक बनाए रखा
श्रीगंगानगर के घड़साना में नहर के पानी के लिए सुलगी चिंगारी अब भड़क गई है। हजारों किसानों ने शनिवार देर रात डीएसपी समेत करीब डेढ़ सौ पुलिस के जवानों को बंधक बना लिया। उन्हें सुबह भी बाहर नहीं आने दिया गया। तनाव के बीच भारी पुलिस फोर्स घड़साना में तैनात की गई है। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन के विपरीत इस आंदोलन में किसानों के निशाने पर राजस्थान की गहलोत सरकार है।
ये वे किसान हैं, जो खेत छोड़कर सिंचाई के लिए पानी की डिमांड कर रहे हैं। किसानों को डर है कि कुछ दिन में उन्हें पानी नहीं दिया गया तो उनकी हजारों एकड़ फसल बर्बाद हो जाएगी। लंबे समय से चल रहे किसान आंदोलन के भड़कने की नौबत इसलिए आई, क्योंकि राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि बातचीत के लिए नहीं पहुंचा। अब यहां 10 हजार से ज्यादा की तादाद में किसान जमा हो चुके हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। किसानों ने लंबे आंदोलन की रणनीति के तहत लंगर की व्यवस्था भी कर ली है।
किसानों की चेतावनी- और भड़क सकता है आंदोलन
किसानों ने कई दिन पहले चेतावनी दे दी थी कि खेत बर्बाद होने की कगार पर आए तो वे उग्र आंदोलन करेंगे। किसानों का कहना था की उनकी घोषणा पानी के लिए संघर्ष की है। पानी मिलने तक एसडीएम ऑफिस में कोई अंदर या बाहर आ-जा नहीं सकेगा। बंधक बनाए गए लोगों में डीएसपी जयदेव सिहाग और पुलिस का एक अन्य उच्च अधिकारी शामिल हैं। किसानों ने रविवार को संघर्ष और तेज करने की चेतावनी दी है।
शनिवार को जब पुलिस एसडीएम दफ्तर की तरफ बढ़ते किसानों को रोक रही थी। तब किसानों ने बैरिकेडिंग फेंक दिए। एक बैरिकेड पुलिस जवान के सिर पर भी गिरा, उसे ज्यादा चोट नहीं आई। उधर, भाजपा भी सैकड़ों किसानों के साथ इसी मांग को लेकर घड़साना में प्रदर्शन व धरना कर रही है।
किसानों ने देर रात एसडीएम ऑफिस के बाहर लंगर लगा दिया।
किसानों ने देर रात तक एसडीएम ऑफिस के बाहर लंगर का प्रबंध कर रखा था। उनका कहना था कि हम अफसरों और जवानों के लिए भोजन और दवा जैसी जरूरी चीजें उपलब्ध करवाते रहेंगे। लेकिन इस दौरान न कोई एसडीएम ऑफिस में आ पाएगा और न ही किसी को बाहर जाने दिया जाए्रगा।
घड़साना आंदोलन के दौरान शामिल किसान।
17 साल पहले के आंदोलन की यादें ताजा
घड़साना इलाका पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन के लिए चर्चित रहा है। 2004 में भी किसानों ने नहर के पानी के लिए आंदोलन किया था। अब सत्रह साल बाद किसानों ने एक बार फिर पानी के लिए ताल ठोंकी है। 2004 में भी किसान बेहद उग्र हो गए थे। तत्कालीन सरकार को किसानों से बातचीत कर उन्हें पर्याप्त पानी देना ही पड़ा था।
राज्य सरकार ने इस मामले में किसानों से बातचीत के लिए सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर को घड़साना भेजा था। किसानों और चीफ इंजीनियर के बीच वार्ता हुई, लेकिन इसमें कोई नतीजा नहीं निकला। चीफ इंजीनियर और किसान अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे।