राजस्थान में अब खाद संकट:DAP के लिए मारामारी, कम्पनियों ने बढ़ाई कीमत,
कृषि मंत्री बोले- केन्द्र सरकार से कम सप्लाई
डीएपी खाद के लिए कतारों में राजस्थान के किसान।
बिजली, कोयला और सिंचाई के पानी के संकट से जूझ रहा राजस्थान अब किसानों को बुवाई के लिए काम आने वाली डीएपी (Di-Ammonium phosphate) खाद की कमी से भी रू-ब-रू होने लगा है। रबी फसल की बुआई का समय है। ऐसे में किसान बहुत परेशान हैं। राजस्थान में किसानों को डीएपी खाद नहीं मिल पा रही है। इस खाद के लिए अलग अलग जिलों और कस्बों में क्रय-विक्रय सहकारी समिति और उनके डिपो पर लम्बी-लम्बी कतारें लग रही हैं। उधर, प्रदेश सरकार ने भी स्वीकार किया है कि खाद का संकट है। कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने डीएपी की जगह एसएसपी (Single Super Phosphate) खाद खरीदने की सलाह दी है।
टोंक में डीएपी खरीदने के लिए भीड़ में महिला किसान
केन्द्र सरकार पर कम डीएपी खाद देने के आरोप
मिस मैनेजमेंट के आरोपों से घिरी सरकार के कृषि मंत्री कटारिया ने अब डीएपी की कमी का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है। मंत्री ने आरोप लगाया है कि केन्द्र सरकार ने राजस्थान में इस साल अप्रैल से सितम्बर के दौरान 4.50 लाख मीट्रिक टन मांग में से 3.07 लाख मीट्रिक टन डीएपी की ही आपूर्ति की। अक्टूबर महीने में 1.50 लाख मीट्रिक टन मांग में से 68 हजार मीट्रिक टन डीएपी मंजूर की है। इससे राज्य में डीएपी की कमी हो गई है।
कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ।
डीएपी की डिमांड और सप्लाई में बड़ा फर्क
कृषि मंत्री ने कहा है कि सरकार प्रदेश में डीएपी सप्लाई में सुधार लाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। उन्होंने किसानों से विकल्प के तौर पर सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और एनपीके का इस्तेमाल करने की अपील की है। कृषि मंत्री ने कहा कि देश में डीएपी की आपूर्ति काफी हद तक विदेशी इम्पोर्ट पर निर्भर है। मांग एवं आपूर्ति में अंतर बढ़ गया है। इससे दूसरे राज्यों के साथ ही राजस्थान भी प्रभावित हुआ है।
डीएपी खाद (फाइल फोटो)।
हर कोशिश गई बेकार
कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही उन्होंने और मुख्य सचिव ने अगस्त और सितम्बर में केंद्रीय रसायन व उर्वरक मंत्री, केन्द्रीय कृषि व कृषक कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और उर्वरक सचिव को चिट्ठी लिखकर जरूरत के मुताबिक डीएपी सप्लाई की मांग की थी। साथ ही, कृषि विभाग के प्रमुख सचिव ने केन्द्रीय उर्वरक सचिव को व्यक्तिगत तौर पर मौजूद होकर राज्य में डीएपी की कमी के कारण पैदा हुए हालातों की जानकारी दी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर राज्य में पैदा हुए डीएपी संकट और किसानों की परेशानियों की ओर ध्यान भी दिलाया है। कृषि विभाग के प्रमुख सचिव को दिल्ली भी भेजा गया।
सप्लाई कम होने से बढ़ी डीएपी की कीमत
कृषि मंत्री ने कहा कि डीएपी के एक बैग की कीमत 1200 रुपए है, वहीं एसएसपी के 3 बैग की लागत 900 रुपए और यूरिया के एक बैग की लागत 266 रुपए समेत कुल 1166 रुपए ही खर्च होंगे, जो डीएपी के खर्चे से कम हैं। उन्होंने किसानों के बीच एसएसपी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए विभाग को प्रचार करने के भी निर्देश दिए। डीएपी की किल्लत के कारण कम्पनियों ने इसके कट्टे की कीमत 2850 रुपए कर दी है। डीएपी खाद पर केन्द्र सरकार 1210 रुपए सब्सिडी देती है। 1200 रुपए अब तक किसान दे रहा था। ऐसे में अब करीब 440 रुपए का फर्क आ रहा है।
डीएपी क्या है?
डीएपी फसलों की उपज बढ़ाने वाला एक केमिकल है। नाइट्रोजन,फॉस्फोरस और पॉटैशियम जैसे महत्वपूूर्ण पोषक तत्व फसलों को मिलते हैं। पौधों और फसलों की ग्रोथ बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। पौधों की बढ़ोतरी, प्रोटीन, कोशिका विभाजन और विटामिन की यह पूर्ति करता है।
एसएसपी क्या है?
एसएसपी एक सस्ता खाद उर्वरक है, जो फलों और बीजों के विकास के लिए अहम है। पौधों को फॉस्फेटाइड्स जैसे न्यूक्लिक एसिड, प्रोटीन, फॉस्फेलिफिड्स और को-एंजाइम फॉस्फेटाइड्स का विकास करने में मदद करता है। इस दानेदार खाद की मिलावट ज्यादातर डीएपी और एनपीके मिक्सचर खादों के साथ होने की सम्भावना रहती है। एसएसपी में फास्फोरस, कैल्शियम, सल्फर और नाइट्रोजन होता है। यह दूसरी खाद की तुलना में कम घुलती है। मिट्टी में घुलने में ज्यादा वक्त लेती है। पौधे अंकुरित होने के बाद ही इसका इस्तेमाल करना सही माना जाता है। जुताई के वक्त में इस खाद को काम में नहीं लेना चाहिए। फूल से फल लगने के वक्त पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
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