इस नई टेक्नॉलाजी के जरिए पटरी पर दौड़ेगी ट्रेन, हर साल होगी करोड़ों की बचत

 

भारतीय रेल अब हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी पर आधारित ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है। अपने इस नए प्रोग्राम को सफल बनाने के उद्देश्य से रेलवे ने अलग-अलग निवेशकों को इस प्रोजेक्ट पर बोली लगाने के लिए आमंत्रित भी किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था को सही से चलाने और उसे रफ्तार देने में हमेशा से ही भारतीय रेलवे सिस्टम का एक काफी बड़ा योगदान रहा है। भारतीय रेल तंत्र भारत में रोजगार के सबसे अधिक मौके उत्पन्न करने का एक महत्वपूर्ण जरिया भी है। जिस कारण से पिछले कुछ सालों से यह देखा जा रहा है कि सरकार रेलवे सिस्टम को सुधारने और इसे अधिक सुविधायुक्त बनाने के लिए कई महत्वपूरण कदम भी उठा रही है। जिसमें कि प्राइवेट ट्रेन चलाना, रेलवे स्टेशनों का प्राइवेटाइजेशन जैसे कुछ कदम काफी अहम साबित हुए हैं।

अपने इन्हीं प्रयासों के तहत भारतीय रेल अब हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी पर आधारित ट्रेन चलाने की तैयारी कर रही है। अपने इस नए प्रोग्राम को सफल बनाने के उद्देश्य से रेलवे ने अलग-अलग निवेशकों को इस प्रोजेक्ट पर बोली लगाने के लिए आमंत्रित भी किया है। भारतीय रेलवे उत्तर रेलवे के तहत आने वाले 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद मार्ग पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (DEMU) पर रेट्रोफिटिंग तकनीक के जरिए हाइड्रोजन ईंधन आधारित सेल का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है। अपनी इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए रेलवे ने अलग अलग निवेशकों से बोलियों को आमंत्रित किया है। इस नई टेक्नॉलॉजी के जरिए भारतीय रेल यह जानने का प्रयास करेगी कि क्या मौजूदा डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रोजन ईंधन का इस्तेमाल करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है या नहीं?

एक बयान जारी करते हुए रेलवे ने कहा है कि “डीजल इंजन से चलने वाले डेमू (DEMU)की रेट्रोफिटिंग कर इसे हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन सेट में बदलने से ना केवल 2.3 करोड़ रुपये की बचत की जा सकेगी, बल्कि हर साल 11.12 किलो टन कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया जा सकेगा”।

रेलवे के अनुसार इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने के बाद विद्युतीकरण के जरिए डीजल ईंधन से चलने वाले सभी स्टॉक को हाइड्रोजन इंधन के द्वारा चलाए जाने की योजना पर काम शुरु किया जा सकता है। रेलवे के इस प्रोजेक्ट में बोली लगाने के लिए निविदा दाखिल करने की समय सीमा 21 सितंबर 2021 से 5 अक्टूबर 2021 तक की है।

 

Related Articles

Back to top button