तीसरे प्रयास में आईएएस बना, रेलवे कर्मचारी का बेटा!

उत्तर प्रदेश: सूरज की तपिश और बेमौसम बरसात को हमने हँस कर झेला है, मुसीबतों से भरे दलदल में हमने अपनी जिंदगी को धंस कर ठेला है, यूँ ही नहीं कदम चूम रही है सफलता आज इस खुले आसमान तले ज़माने भर के नामों को पीछे छोड़ा है। तब जाकर हमारा नाम फैला है। संघर्ष पथ पर जो मिले, ये भी सही, वो भी सही।ये लाइनें उन लोगों को समर्पित हैं, जो जिंदगी की तमाम चुनौतियों के बावजूद अपने कर्म से पीछे नहीं हटते और आखिर में सफलता ही इन लोगों के कदम चूमने आती हैं। संघर्ष तो हर इंसान के जीवन में है, लेकिन मायने यह रखता है कि आप उन संघर्षों में भी किस तरह से सफल बनने की तैयारी कर रहे हैं।

आज देश के कोने-कोने में लोग यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। कुछ के पास हर सुख-सुविधा है तो कुछ के पास गरीबी और संघर्ष के साथ-साथ कुछ कर दिखाने का सपना, जो एक ना एक दिन उन्हें सफलता से मिलवा ही देता है।


ऐसी ही सफलता की कहानी है। सिविल सर्विसेज की परीक्षा को पास कर एक नई इबारत लिखी है। हम बात कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले रजत यादव की। एक मध्यमवर्गीय परिवार में पले बड़े । रजत यादव ने यूपीएससी के एग्जाम में 2 बार फेल हुए। और तीसरी बार सफलता पा ली। इनके अथक प्रयासों के मद्देनजर प्राइवेट नौकरी का सहारा भी लिया रजत की जिंदगी में तो आईएएस बनना था, इसलिए हिम्मत जुटाकर तैयारी में जुट गए।

और तीसरे प्रयास में 111वीं रैंक के साथ आईएएस अफसर बनने का मौका मिला। रजत यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के जनपद सिद्धार्थनगर में हुआ। परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से काफी ठीक थी ।पिता के साथ कानपुर पढ़ने के लिए चले आते हैं ,और यहीं से प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत होती है। रजत के पिता सूर्यमन प्रसाद यादव रेलवे विभाग में नौकरी करते हैं। रजत ने प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद स्नातक की पढ़ाई करने के लिए के लिए दिल्ली आ जाते हैं ।और दिल्ली से आईआईटी मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर पर ही भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करना शुरू कर देते हैं। और इस बीच उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद का भी इनकी जिंदगी में एक अहम रोल सामने आता है ।क्योंकि पढ़ाई पूरी करने के बाद एक ऐसे स्थान की जरूरत थी कि जहां से दैनिक खर्चे के लिए किसी प्राइवेट कंपनी में कुछ पैसे कमा कर अपनी पढ़ाई को पूरा करना चाहते थे। जब रजत से बातचीत की गई तो पता चला कि उन्हें पढ़ना तो अच्छा लगता ही है, साथ में उन्हें गाने सुनना और लिखना बेहद पसंद है।

और कठिन मेहनत और अथक प्रयासों के बाद रजत ने आईएएस की परीक्षा को पास कर अपने परिवार के साथ देश का नाम भी रोशन किया है।हर देश के लाखों युवा सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन एक बार परीक्षा निकाल पाना हर किसी के भाग्य में नहीं होता, लेकिन असली विजेता तो वही है तो भाग्य को भी पीछे छोड़ दे।आईएएस अफसर रजत यादव भी यूपीएससी की तैयारी में लगे रहे।मन में ठान लिया था कि, जब तक पास नहीं होंगे, तब तक छोड़ेंगे नहीं।उनका यही प्रण हर असफलता के बाद हौंसला बना। तीसरी बार एग्जाम दिया और सफलता मिली।आज के युवा धैर्य की कमी के चलते पहली या दूसरी बार में ही यूपीएससी की परीक्षा या जिंदगी के दूसरे इम्तेहानों को बीच में छोड़ जाते हैं। ऐसे में आज देश के लाखों युवाओं के लिए आईएएस की परीक्षा को पास कर रजत यादव मिसाल बनकर सामने आए हैं।

Related Articles

Back to top button