Rahul Gandhi ने चेताया RSS को कहां भारत में घूमना हो जाएगा मुश्किल !

Rahul Gandhi; भागवत ने यह भी कहा कि भारत ने सदियों तक बाहरी आक्रमणों का सामना किया, जिनका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और धार्मिकता को नष्ट करना था।

Rahul Gandhi; राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाने की आवश्यकता जताई। उनके अनुसार, यह दिन भारतीय समाज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, खासकर उस समय में जब देश ने अनेक आक्रमणों का सामना किया और धार्मिक अस्मिता को बनाए रखा।

 

Rahul Gandhi ; ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ का महत्व: मोहन भागवत का मानना है कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह भारतीयता और आत्मसम्मान का प्रतीक भी है। ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ का प्रस्ताव इस अर्थ में दिया गया है कि यह दिन भारतीय समाज को एकजुट करने और उसकी सांस्कृतिक धरोहर की पुनर्स्थापना में मदद करेगा। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और रामलला की प्रतिष्ठा ने हिन्दू समाज को एक नई दिशा दी है। भागवत के अनुसार, इस तिथि को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाने से एक सकारात्मक संदेश जाएगा और यह हमारे समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक जड़ों की पुनःस्मृति करेगा।

 

इतिहास की पुनःस्थापना: Rahul Gandhi; भागवत ने यह भी कहा कि भारत ने सदियों तक बाहरी आक्रमणों का सामना किया, जिनका उद्देश्य भारतीय संस्कृति और धार्मिकता को नष्ट करना था। इन आक्रमणों के बावजूद, रामलला की पूजा और अयोध्या का महत्व कभी नहीं कम हुआ। यह तिथि भारतीय समाज की ताकत और उसकी आध्यात्मिक धरोहर को मजबूत करने का एक माध्यम बन सकती है। यह उस समय की याद दिलाती है जब भारत ने अपनी संस्कृति और आस्थाओं को बाहरी ताकतों से बचाए रखा।

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समाज में एकजुटता का संदेश: भागवत का यह बयान समाज को यह संदेश देने के लिए है कि भारतीयता और हिन्दू संस्कृति की रक्षा और प्रतिष्ठा के लिए एकजुट होना आवश्यक है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का दिन यदि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाया जाए तो यह एक मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले सकता है। यह न केवल धार्मिक आस्थाओं को पुनः स्थापित करेगा, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता को भी बढ़ावा देगा।

 

राजनीतिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाना केवल एक धार्मिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और राष्ट्रीय कदम भी हो सकता है। यह दिन अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की पवित्रता को भी और अधिक बल देगा और भारतीय समाज को अपने गौरवपूर्ण इतिहास से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा। भागवत का यह बयान भारतीय राजनीति और संस्कृति में नए आयाम जोड़ने का प्रयास हो सकता है।

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मोहन भागवत का यह बयान भारतीय समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन सकता है। ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि मनाने से भारतीयता और हिन्दू संस्कृति को सम्मान मिलेगा, और यह दिन भारतीय समाज की शक्ति और एकता को उजागर करेगा। यह पहल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उसे आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है ।

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