Rahul Gandhi : ‘संविधान को नष्ट करके शिवाजी महाराज के सामने झुकने का फायदा नहीं,’

Rahul Gandhi ने हाल ही में एक बैठक को संबोधित किया, जहां उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

कोल्हापुर में कांग्रेस नेता Rahul Gandhi ने हाल ही में एक बैठक को संबोधित किया, जहां उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि लोगों को डराने और देश में संविधान और संस्थानों को नष्ट करने के बाद, शिवाजी महाराज के सामने झुकने का कोई फायदा नहीं है। यह बयान उन मौजूदा राजनीतिक हालातों के संदर्भ में आया, जहां Rahul Gandhi ने सत्ता के प्रति आलोचना व्यक्त की है।

Rahul Gandhi ने विशेष रूप से महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में शिवाजी महाराज की प्रतिमा को गिराए जाने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह घटना सत्ता में बैठे लोगों की गलत मंशा और विचारधारा का परिणाम है। उनका यह बयान इस बात को दर्शाता है कि वे सरकार की नीतियों और क्रियाकलापों के प्रति कितने चिंतित हैं।

इससे पहले, राहुल गांधी ने कोल्हापुर में शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया, जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक के प्रति उनकी श्रद्धांजलि थी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं केवल सत्ता की गलत नीतियों का परिणाम हैं और इससे समाज में भय और असुरक्षा का माहौल बनता है।

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पीएम मोदी पर सीधा निशाना

राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि शिवाजी महाराज केवल एक नाम नहीं हैं, बल्कि वे हमारे लिए देवता हैं। पीएम मोदी ने 30 अगस्त को महाराष्ट्र यात्रा के दौरान कहा था, “आज, मैं उनके चरणों में सिर झुकाता हूं और अपने देवता से माफी मांगता हूं।” इस टिप्पणी के माध्यम से राहुल गांधी ने यह स्पष्ट किया कि मोदी की बयानबाजी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जो वास्तविकता से परे है।

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि शिवाजी महाराज का नाम केवल राजनीतिक लाभ के लिए नहीं लिया जाना चाहिए। उनका योगदान और विरासत भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं, और उन्हें सम्मान देने के लिए सही सोच और नीतियों की आवश्यकता है।

राजनीतिक संदर्भ

राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है। भारतीय राजनीति में बुनियादी संस्थानों और संविधान के महत्व पर बहस जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक नेताओं को अपने कार्यों का सही मूल्यांकन करना चाहिए और उन्हें जनता की भलाई के लिए काम करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत या पार्टी के लाभ के लिए।

इस प्रकार, कोल्हापुर में राहुल गांधी का भाषण केवल एक राजनीतिक बयान नहीं था, बल्कि यह एक सशक्त संदेश था, जो जनता को जागरूक करने और सत्ता के प्रति सवाल उठाने का प्रयास करता है। उनका यह कदम न केवल कांग्रेस पार्टी के लिए, बल्कि पूरे विपक्ष के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ प्रस्तुत करता है, जो भाजपा सरकार की नीतियों पर लगातार सवाल उठा रहा है।

राहुल गांधी के भाषण ने न केवल भाजपा पर हमला किया, बल्कि उन्होंने भारतीय राजनीति की वर्तमान स्थिति पर भी प्रकाश डाला। उनका यह प्रयास देश के संस्थानों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ऐसे में देखना होगा कि क्या यह बयान आगामी चुनावों में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगा।

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