बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी को लेकर राहुल गांधी ने बीजेपी पर साधा निशाना
कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. पार्टी के प्रचार के लिए राज्य के दौरे पर आए राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए दावा किया कि, ‘जब नरेंद्र मोदी की पार्टी सत्ता में आई थी और वो प्रधानमंत्री बने थे, तो उन्होंने कहा था कि अब देश में हर साल दो करोड़ युवाओं को नौकरी दी जाएगी. लेकिन आज स्थिति ये है कि बेरोजगारी 40 साल में सबसे ज्यादा है.’
राहुल गांधी के इस दावे को निराधार बताते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि अगर राहुल गांधी के पास इस दावे को लेकर कोई ठोस सबूत हैं तो उन्हें अदालत जाना चाहिए. ऐसे निराधार आरोपों पर लोग कैसे विश्वास करेंगे?’ ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में सरकारी नौकरियां कम हो रही हैं?
पांच सालों में मोदी सरकार ने कितने लोगों को दी नौकरी
भारत में बेरोजगारी आज से नहीं बल्कि दशकों से सबसे बड़ी समस्या रही है. साल 2014 से जब एनडीए की सरकार सत्ता में आई थी तब बेरोजगारी को हटाना ही पार्टी का सबसे बड़ा मुद्दा था और अब इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार उन्हें घेरती भी रही है.
पिछले पांच सालों में कितने लोगों को दी नौकरी गई है. इस सवाल के जवाब में कार्मिक मंत्री जितेन्द्र सिंह ने संसद में बताया कि वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सपेंडिचर के वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के सभी तरह के मंत्रालयों और विभागों में मार्च 1 साल 2021 तक तकरीबन 40 लाख 35 हजार पद ऐसे थे, जिनपर नियुक्ति की जानी थी.
इनमें से सिर्फ 30 लाख 55 हजार पदों पर लोगों को सरकारी नौकरी मिली हैं. यानी लगभग तकरीबन 9 लाख 79 हजार पद खाली हैं, जिन पर नियुक्ति नहीं हुई है.
2014 से अब तक सरकारी नौकरी का हाल
लोकसभा में सरकार के अनुसार साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से लेकर जुलाई 2022 तक अलग-अलग सरकारी विभागों में कुल 7 लाख 22 हजार 311 आवेदकों को सरकारी नौकरी दी गई है.
साल 2018-19 में महज 38,100 लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली थी. जबकि हैरान करने वाली बात ये है की उसी साल यानी 2018-19 में ही सबसे ज्यादा 5,करोड़ 9 लाख 36 हजार 479 लोगों ने आवेदन किया था.
हमारे देश में मौजूदा वक्त की बात करें तो यहां रोजगार दर लगभग 40 प्रतिशत है. जिसका मतलब है कि काम करने वाले हर 100 लोगों में सिर्फ 40 लोगों के पास ही रोजगार है. 60 लोग ऐसे हैं जो काम करने के लायक तो हैं लेकिन उनके पास नौकरी नहीं है.
बढ़ रही है बेरोजगारी
सेंटर फ़ॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार भारत में साल 2021 के में बेरोजगारी दर 7.9 फीसदी थी. वहीं साल 2020 में ये दर 7.11 प्रतिशत थी. मुंबई स्थित सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार साल 2020 तब से देश में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत से ऊपर ही बनी हुई है. वहीं एक ऐसा राज्य भी है जहां बिहार के 40 फ़ीसदी लोग बेरोजगार हैं और उत्तर प्रदेश में 22 फीसदी बेरोजगारी है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
भारत में बेरोजगारी पर सालों से काम करे रहे अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट सेंटर के प्रमुख अजीत बसोले ने बीबीसी की रिपोर्ट में बताया, ”एक तरफ जहां साल 2005 में भारत के 18 से 23 साल के करीब 15 फीसदी छात्र उच्च शिक्षा लेने यानी कॉलेज जा रहे थे, जो आज 25 प्रतिशत हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ़ पिछले 20 सालों में सरकारी नौकरियों में लगातार कमी आई है. मांग और पूर्ति में काफ़ी फ़र्क है, जिसके चलते देश में बेरोजगारी बढ़ रही है.”
एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज’ के पूर्व निर्देशक डीएम दिवाकर ने बीबीसी की एक रिपोर्ट में बताया, ‘देश में हर साल 80 लाख नए लोग नौकरी के तैयार हो रहे हैं, जबकि सरकार एक लाख लोगों को भी नौकरी नहीं दे पा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि ये आंकड़ा भी साल 2013 तक का है, सरकार ने इसके बाद आंकड़े देने ही बंद कर दिए. सरकार रिटायरमेंट के बाद खाली हुई नौकरियों पर भी भर्ती नहीं कर पा रही. देश के कई संस्थानों में पद खाली पड़े हैं.”
प्राइवेट नौकरी का क्या हाल है?
अजीत बसोले ने बीबीसी की उसी रिपोर्ट में बताया, ”साल 1991 के बाद उदारीकरण के कारण देश में सरकारी नौकरियां की संख्या कम होनी शुरू हो गईं. धीरे धीरे केंद्र सरकार पे-कमीशन पर नियुक्ति करने के बदले कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरियां दे रही है. उदाहरण के तौर पर ऐसे समझिए कि सरकार आंगनवाड़ी में लोगों से काम तो करवाना चाहती है, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं देना चाहती.” आसान भाषा में समझे तो पिछले कुछ सालों में सिर्फ़ सरकारी ही नहीं बल्कि प्राइवेट नौकरियों की वेकेंसी भी सिमट रही है.
राहुल गांधी ने कर्नाटक में मोदी सरकार पर साधा निशाना
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते सोमवार यानी 25 अप्रैल को हावेरी जिले में एक जनसभा को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने मोदी सरकार पर सरकारी कंपनियों के निजीकरण को बढ़ावा देने और देश में सरकारी नौकरियों की संख्या को कम करने का आरोप लगाया है.
राहुल गांधी ने आगे कहा कि, ‘स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में, सरकार को संस्थानों का निर्माण करना चाहिए था, लेकिन इसके बजाय उन सभी का निजीकरण किया जा रहा है. हमें ऐसा हिंदुस्तान नहीं चाहिए, हमें बेरोजगार भारत नहीं चाहिए, हमें गरीब भारत नहीं चाहिए, हमें न्याय चाहिए.’’
राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक और पूरे भारत में किसानों के साथ बातचीत से उन्हें ‘भ्रष्ट भारतीय जनता पार्टी शासन के चलते उनके लिए उत्पन्न दिक्कतों के बारे में जानकारी मिली, जिसका ध्यान केवल अपने दो-तीन मित्रों की मदद करने पर केंद्रित है.’’
इससे पहले बेलगावी जिले के रामदुर्ग में गन्ना किसानों के साथ बातचीत में राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत की प्रगति उसके किसानों, मजदूरों और छोटे व्यवसायों की प्रगति पर निर्भर करती है.