राहुल गांधी ने मोदी और मोदी के मंत्रिमंडल पर उठाए सवाल

'मेरे सामने सीधे और PM मोदी के सामने झुक जाते...', ओम बिरला पर राहुल गांधी के बयान से संसद में मच गया हंगामा

राहुल गांधी ने आज राष्ट्रपति मुर्मु के संबोधन पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए भाजपा पर जमकर हमला बोला। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल ने जैसे ही बोलना शुरू किया उन्होंने भाजपा की सीटों में आई कमी का जिक्र किया। राहुल ने कहा कि ये लोग घमंड में आ गए थे, तभी जनता ने इन्हें सबक सिखाया।

राहुल ने इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Rahul Gandhi to Om Birla) को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की जिसे सुनते ही बवाल मच गया। राहुल ने कहा कि जब मैं विपक्ष का नेता बना तो मुझे एक बात तो समझ आ गई कि अब मुझे मेरे विचार साइड में रखने होंगे और सारे विपक्ष की सुननी होगी। उन्होंने आगे ओम बिरला की ओर इशारा करते हुए कहा कि ऐसे ही काम करना चाहिए।


पीएम के आगे झुकना गलत:
राहुल ने कहा कि जब आप स्पीकर बने तो मैं और पीएम मोदी आपको कुर्सी तक छोड़ने गए। लेकिन उस दौरान अलग ही दृश्य दिखा। जब मैंने आपसे हाथ मिलाया तो आप सीधे होकर मिले, लेकिन जैसे ही पीएम मोदी ने हाथ आगे किया आपने सिर झुकाया और फिर हाथ मिलाया।

राहुल गांधी का ऐसा कहते ही सदन में हंगामा मच गया। पूरा सत्ता पत्र खड़ा हो गया, यहां तक की अमित शाह भी भड़क गए और इसे स्पीकर का अपमान बताया।

 

ओम बिरला ने दिया जवाब,
राहुल की बात का स्पीकर बिड़ला ने जवाब देते हुए कहा कि वह बड़ों के सामने झुकने की परंपरा को बनाए रखते हैं। हालांकि, गांधी ने कहा कि स्पीकर सदन के सबसे बड़े नेता हैं। अध्यक्ष ने अपने जवाब में कहा,
प्रधानमंत्री सदन के नेता हैं। मेरी संस्कृति और परंपराएं कहती हैं कि व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में और इस सीट पर, मुझे उन लोगों को प्रणाम करना चाहिए जो बड़े हैं और जो समान हैं। उनके साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, यही मैंने सीखा है। मैं इसे अपनी कुर्सी से कह सकता हूं कि बड़ों को प्रणाम करना और जरूरत पड़ने पर उनके पैर छूना मेरी संस्कृति है।


राहुल बोले- अध्यक्ष की बात का सम्मान, लेकिन ये गलत
राहुल गांधी ने इसके बाद कहा कि वो अध्यक्ष की बात का सम्मान करते हैं, लेकिन इस सदन में अध्यक्ष से बड़ा कोई नहीं है और सभी को उनके सामने झुकना चाहिए। मैं आपको प्रणाम करूंगा और पूरा विपक्ष भी ऐसा ही करेगा। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष लोक सभा का संरक्षक तथा “अंतिम निर्णय” होता है।

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