राहुल फिर बन सकते हैं कांग्रेस चीफ:अगले साल अगस्त-सितंबर में होगा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव,
राहुल बोले- पद संभालने पर विचार करूंगा
दिल्ली में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मांग की गई है। यह मांग राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पार्टी की सीनियर नेता अंबिका सोनी की तरफ से की गई है। इस बीच पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने शनिवार को कहा कि अध्यक्ष का चुनाव अगले साल 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच होगा। CWC और दूसरी बॉडीज के चुनाव की तारीख की घोषणा पार्टी के अधिवेशन के बाद की जाएगी।
अंबिका सोनी ने मीटिंग में कहा कि सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। हालांकि, यह उन पर निर्भर करता है कि वे क्या निर्णय लेते हैं। इससे पहले बैठक में मौजूद अशोक गहलोत ने भी यह बात उठाई। उन्होंने कहा कि राहुल को कांग्रेस का नेतृत्व करना चाहिए और बैठक में मौजूद सभी लोग इस बात का समर्थन करते हैं। दोनों नेताओं की बात सुनने के बाद राहुल ने कहा कि वे दोबारा पार्टी अध्यक्ष बनने पर विचार करेंगे।
सोनिया बोलीं- मैं फुलटाइम प्रेसिडेंट
सोनिया गांधी ने पार्टी के G-23 नेताओं को साफ संदेश दिया है कि वे ही पार्टी की फुल टाइम प्रेसिडेंट हैं। बता दें G-23 से आशय कांग्रेस के उन 23 नेताओं से है, जिन्होंने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कांग्रेस में बड़े बदलाव और फुल टाइम प्रेसिडेंट की जरूरत बताई थी। सोनिया ने बिना नाम लिए पार्टी नेताओं को ये नसीहत भी दी है कि वे साफगोई की समर्थक हैं, लेकिन उनसे मीडिया के जरिए बात न करें। उन्होंने कहा- ‘मैं फुलटाइम प्रेसिडेंट हूं और पूरी तरह सक्रिय हूं।’
सोनिया ने ये भी कहा कि संगठन चुनावों का शेड्यूल तैयार है और वेणुगोपाल जी इसकी पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी देंगे। सोनिया ने कहा है कि पूरा संगठन चाहता है कि कांग्रेस फिर से खड़ी हो, लेकिन इसके लिए एकता और पार्टी हितों को सबसे ऊपर रखना जरूरी है। इससे भी ज्यादा जरूरत खुद पर काबू रखने और अनुशासन की है।
दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में सोनिया गांधी की अध्यक्षता में वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई।
इन मुद्दों पर भी बोलीं सोनिया
लखीमपुर हिंसा पर सोनिया ने कहा कि UP के लखीमपुर खीरी में हुई चौंकाने वाली घटना BJP की मनोदशा दिखाती है कि वे किसान आंदोलन को किस तरह देख रहे हैं।
बॉर्डर पर चले रहे तनाव पर उन्होंने कहा कि विदेश नीति राजनीतिक ध्रुवीकरण का एक जरिया बन गई है। हम बॉर्डर के मसले पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
आर्थिक सुधार के सवाल का जवाब सरकार देश की संपत्तियां बेचकर देना चाहती है। केंद्र का इस समय एक ही एजेंडा है कि सब कुछ बेच दो।
जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों (हिंदुओं) पर बढ़ते हमले चिंता का विषय हैं। इसकी जितनी हो सके, उतनी निंदा की जानी चाहिए।
कांग्रेस में उठते विरोध के स्वर पर उन्होंने कहा कि हम इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन अगर हम एकजुट रहते हैं और पार्टी के हित में सोचते हैं तो मिलकर हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
स्थायी अध्यक्ष के सवाल पर सोनिया ने कहा कि हमने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 30 जून तक निपटाने का रोडमैप पहले ही बना लिया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण इसे आगे बढ़ाना पड़ा।
गुलाम नबी बोले- नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाया
G-23 में शामिल कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाने की बात पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि सोनिया जी के नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा है।
न्यूज एजेंसी के सोर्स के मुताबिक CWC मीटिंग में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करना चाहिए। बैठक में मौजूद सभी लोगों ने उनकी बात का समर्थन किया।
क्या है G-23, कौन से नेता इसमें शामिल
कांग्रेस के G-23 ने पिछले साल सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों और प्रभावी नेतृत्व की जरूरत बताई थी। इनमें आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। G-23 के कई नेता सोनिया को याद भी दिला चुके हैं कि जमीनी स्तर पर अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ है और कांग्रेस का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ जा रहा है। पार्टी को पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ तक संकट का सामना भी करना पड़ा है।
अंदरूनी कलह से निपटना बड़ी चुनौती
कांग्रेस को कई राज्यों में अंदरूनी कलह के चलते संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसी के चलते बीते एक साल में कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं या दूरी बना चुके हैं। राहुल गांधी के करीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया पिछले साल कांग्रेस छोड़कर BJP में चले गए, तो इस साल जितिन प्रसाद BJP में शामिल हो गए।
उधर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है। तो पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी विवाद थमे नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने अंदरूनी कलह से निपटना एक बड़ी चुनौती है।
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