चन्नी को पंजाब का कैप्टन बनाने के पीछे राहुल

4 महीने पहले लिखी गई इस सियासी उलटफेर की कहानी, चुनावों से पहले राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी साबित करने की कोशिश

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब के नए मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है। कांग्रेस आलाकमान ने रविवार को चन्नी को पंजाब का CM बनाने की घोषणा की थी। कांग्रेस के इस फैसले ने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया। दरअसल, मुख्यमंत्री की रेस में सुनील जाखड़ का नाम सबसे आगे चल रहा था। माना जा रहा था कि कैप्टन की जगह जाखड़ ही लेंगे, लेकिन अंत में कहानी बदल गई।

पंजाब की इस सियासी उलटफेर के पीछे राहुल गांधी की अहम भूमिका मानी जा रही है। जानकारों का कहना है कि पंजाब में मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति पर पिछले चार महीने से काम चल रहा था। वहीं, राज्य में सियासी हलचल बीते एक महीने से काफी तेज हो गई थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने CM अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

सिद्धू को मिलता रहा राहुल का सपोर्ट
कैप्टन पर सिद्धू लगातार निशाना साधते रहे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया। इसके उलट सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। इससे पता चलता है कि सिद्धू को राहुल और प्रियंका गांधी का पूरा सपोर्ट मिला है। पंजाब के लिए सिद्धू ही इनकी पहली पसंद माने जाते हैं।

पंजाब चुनाव सिद्धू की अगुआई में लड़ने की घोषणा
पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आगामी पंजाब विधानसभा चुनाव सिद्धू की अगुआई में लड़ने की घोषणा की है। रावत ने कहा कि इसे लेकर निर्णय कांग्रेस अध्‍यक्ष लेंगी, लेकिन मौजूदा स्थितियों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तहत CM कैबिनेट के साथ चुनाव लड़ा जाएगा, जिसके प्रमुख सिद्धू बेहद लोकप्रिय हैं।

कलह के बीच शिमला में सोनिया-प्रियंका
कांग्रेस में मची कलह के बीच पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी शिमला में हैं। वहां उनकी बेटी प्रियंका गांधी पहले से मौजूद हैं। ऐसे में साफ हो जाता है कि पंजाब कांग्रेस की राजनीति में फिलहाल जो कुछ भी घट रहा है, उसके पीछे राहुल गांधी हैं।

चरणजीत सिंह चन्नी ने सोमवार को पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल लिया। इस मौके पर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और पंजाब प्रभारी हरीश रावत मौजूद रहे।

मजबूत नेता के तौर पर पेश करने की कोशिश
राहुल गांधी आज पंजाब के नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल हुए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि राहुल फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की भी चर्चा है। ऐसे में राहुल कुछ बड़े फैसले लेकर खुद को राजनीति का मंझा हुआ खिलाड़ी साबित करने की कोशिश में हैं।

गुटबाजी खत्म करने का प्रयास
कैप्टन के खिलाफ सिद्धू की बगावत से पार्टी के भीतर गुटबाजी काफी तेज हो गई थी। खुद सिद्धू या जाखड़ को मुख्यमंत्री बनाने से इस गुटबाजी का खत्म होना मुश्किल लग रहा था। राहुल ने हाल ही में पार्टी चीफ सोनिया गांधी, सीनियर नेता अंबिका सोनी और अपने करीबियों के साथ बैठकें की थीं। साथ ही वह पिछले दो दिनों से चंडीगढ़ में केंद्रीय पर्यवेक्षकों के संपर्क में रहे और सभी पहलुओं को जानते-समझते रहे।

चन्नी को चुनकर राहुल ने दलित कार्ड खेला
CM चन्नी दलित नेता हैं। पंजाब में 32% दलित वोट बैंक है। इनमें सिख और हिंदू समाज के दलित शामिल हैं। राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू कर दिया। दलितों को बड़े पदों पर बैठाने की बात कहकर जातीय ध्रुवीकरण करने की कोशिश की गई।

इस तरह राहुल ने पंजाब की धरती से UP, राजस्थान और दूसरे राज्यों के लोगों को राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। OBC पर डोरे डाल रही विरोधी पार्टियों के बीच राहुल गांधी और कांग्रेस ने यह फैसला लेकर दलित कार्ड खेला है।

चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने की चुनौती
पंजाब में अगले कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पंजाब में हुए इस उलटफेर का कांग्रेस का फायदा हो या नुकसान, इसके लिए राहुल गांधी ही जिम्मेदार माने जाएंगे। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था। ऐसे में विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाना, राहुल के लिए आसान नहीं होगा।

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