PWD के इंजीनियर ने ढूँढा सड़क के गड्ढों की बारामासी समस्या को हल करने का तरीका

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश पीडब्ल्यूडी के सेवानिवृत्त इंजीनियर-इन-चीफ पंकज बकाया ने प्रेस वार्ता में कहा, “गड्ढों से भरे भारतीय सड़कों की गिरती प्रतिष्ठा राज्य और नगर अधिकारियों के लिए निरंतर एक बड़ी समस्या बनी हुई है। व्हाइटटॉपिंग एक ऐसा समाधान है जो न केवल गड्ढों की बारामासी समस्या को हल करेगा बल्कि देश में होने वाली मौतों और दुर्घटनाओं की ऊंची दर को भी कम करेगा। इस तकनीक का कार्यान्वयन अपने मूल में ही अत्यधिक टिकाऊ और किफायती है, जो 20 वर्षों से अधिक समय तक चलता है और हॉट मिक्स प्रक्रिया के दौरान कार्बन उत्सर्जन घटाने में मददगार है। इसके चलते पेट्रोलियम क्रूड का आयात घट जाने से विदेशी मुद्रा की बचत भी होती है। गोरखपुर जैसे शहरों में, जहां वाहनों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है, व्हाइटटॉपिंग को अमल में लाते वक्त दैनिक आवागमन में न्यूनतम से शून्य हस्तक्षेप होता है। यह तकनीक गांव की सड़कों के लिए भी बेहद उपयुक्त है, विशेष रूप से आबादी के उन हिस्सों और क्षेत्रों में, जहां जल जमाव अक्सर होता है।”

गोरखपुर की सड़कों पर जहां देखो गड्ढे ही गढ्ढे नजर आते हैं, और ये गड्ढे इस इलाके के मुसाफिरों के लिए जी का जंजाल बन चुके हैं। वाहनों के बढ़ते ट्रैफिक और दुर्घटनाओं में वृद्धि के चलते सड़कों के चरमरा रहे बुनियादी ढांचे का नकारात्मक असर लोगों की जीवन शैली पर पड़ रहा है।

इस तथ्य के मद्देनजर कि भारत का मौजूदा शहरी सड़क बुनियादी ढांचा तेजी से विकृत हो रहा है, देश की सड़कों को ज्यादा टिकाऊ और सुरक्षित बनाने हेतु गड्ढों को जड़-मूल से मिटाने के लिए व्हाइटटॉपिंग करना सर्वोत्तम उपाय है। गोरखपुर से लेकर मिर्जापुर रोड या गोरखपुर रेती से लेकर नकास चौक तक के सड़क विस्तार ऐसे सफल उदाहरण हैं, जिन्हें व्हाइटटॉपिंग तकनीक से नया जैसा बना दिया गया है। इसका नतीजा यह है कि नागरिकों को एक निर्बाध और सुरक्षित यात्रा अनुभव प्राप्त हो रहा है।

 

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