पंजाबः ‘अवैध खनन’ पर अकाली नेता के चलते आपस में भिड़े कांग्रेसी, जाने पूरा मामला

चंडीगढ़. पंजाब में अवैध रेत खनन को लेकर कांग्रेस सरकार के नेता आपस में लड़ते रहते हैं, लेकिन इस बार शिरोमणि अकाली दल के एक नेता द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो ने पंजाब कांग्रेस के नेताओं के बीच लगी आग में घी का काम किया है. बठिंडा से अकाली दल नेता सरूप चंद सिंगला ने गुरुवार को फेसबुक पर गुरु नानक देव थर्मल प्लांट के भीतर से एक लाइव सेशन किया और बठिंडा से विधायक मनप्रीत सिंह बादल, उनके साले और कांग्रेस नेता जयजीत सिंह जोहाल पर कथित रूप से अवैध रेत खनन में शामिल होने का आरोप लगाया. थर्मल प्लांट से वीडियो शूट करते हुए अकाली दल नेता ने कहा, “इस इलाके को देखिए जीजा और साला ने मिलकर इसे अवैध रेत खनन का रास्ता बना दिया है. सबकुछ स्पष्ट है.”

इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में अकाली नेता ने कहा, “यह वह क्षेत्र है, जहां कोयले की राख को डंप किया जाता था. ट्रक वाले इस इलाके से मुफ्त में राख ले जाते थे. बड़े बड़े गड्ढे खोद दिए गए हैं, जहां से खराब क्वालिटी की रेत निकाली जा रही है और इसका इस्तेमाल सरकारी प्रोजेक्ट में किया जा रहा है. थर्मल प्लांट बंद कर दिया गया और अब रेत खनन हो रहा है. आप कल्पना कर सकते हैं कि इस तरह की खराब रेत से किस तरह के प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा होगा.” उन्होंने कहा कि जब मैं जेसीबी मशीन के पास इस वीडियो को बना रहा था तो ड्राइवर ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की, जो एक तरह से मेरी जान लेने की कोशिश थी, मैंने वह वीडियो पंजाब के डीजीपी, मुख्य सचिव, पंजाब के मुख्यमंत्री, बठिंडा के एसएसपी को सौंप दिया है. सोमवार को मैं इस बारे में बठिंडा एसएसपी कार्यालय को लिखित में शिकायत दूंगा.

वैरिंग ने इस वीडियो को शाम के 3.30 बजे फेसबुक पर डाला था, जिसके बाद पार्टी नेता और मनप्रीत बादल के भाई जयजीत सिंह जोहाल ने एक वीडियो फेसबुक पर शेयर किया, ये वीडियो राजा के साले डिम्पी विनायक से जुड़ा है, जिस पर फरवरी में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था. ये मामला फरीदकोट स्थित कॉन्ट्रैक्टर नरेश कटारिया का है, जिसने अपने दो बच्चों और पत्नी की हत्या के बाद खुद को गोली मार ली थी. कटारिया ने इसके लिए डिम्पी विनायक पर आरोप लगाया था. इस मामले में भी जांच जारी है.

वीडियो पोस्ट करने से पहले जोहाल ने भी वैरिंग की तरह मुख्यमंत्री से मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने की गुजारिश की. इस बीच सिंगला के वीडियो को बठिंडा से सांसद और अकाली दल नेता हरसिमरत कौर बादल ने भी शेयर किया. उन्होंने कहा, “वित्त मंत्री मनप्रीत बादल और उनके रिश्तेदारों की शह पर रेत माफिया काम कर रहे हैं. सरूप चंद सिंगला ने सबूतों के साथ इसे दिखाया है. ये रेत माफिया एक राजनीति पार्टी के सम्मानित सदस्य पर भी हमला कर सकते हैं, तो सोचिए कि आम आदमी की हैसियत क्या है?”

कांग्रेस नेताओं के वीडियो साझा करने और आपस में लड़ने से साफ है कि पार्टी के भीतर मतभेद बहुत ज्यादा हो गए हैं, जबकि पार्टी नेतृत्व इसे शांत करने की कोशिश कर रहा है.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में जोहाल ने कहा, “सिंगला के आरोप बेबुनियाद हैं. कोयले की राख थर्मल प्लांट में 500 से 600 एकड़ में फैली हुई है. सभी थर्मल प्लांट में कोयले की राख मुफ्त में बांटी जाती है. केवल लोडिंग चार्ज लिया जाता है. इसका इस्तेमाल सीमेंट फैक्टरियों द्वारा किया जाता है, जिन्हें थर्मल प्लांट कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से चुनता है. राख का भंडार इतना ज्यादा है कि पूरे इलाके को खाली करने में 25 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा, अगर प्रतिदिन लोडिंग की जाए. ट्रक वालों ने रास्ते में मिट्टी बिछा दी है, ताकि उनके निकलने का रास्ता बन सके. पिछले कई महीनों से इलाके से कोयले की राख को ट्रक वाले ढो रहे हैं. सिंगला इस समय इसे मुद्दा क्यों बना रहे हैं. वे लोग इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं. कोई भी शहर में चल रहे विकास कार्य की पड़ताल कर सकता है और साबित कर दे कि उसमें कुछ गलत हो रहा है.”

वहीं सिंगला ने कहा, “यहां से रेत निकाल कर ले जाते हैं. फिर कोयले की राख मिलाते हैं और कई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करते हैं.” जोहाल ने बाद में एक और वीडियो पोस्ट किया जिसमें ट्रक वालों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वे पिछले 10-15 सालों से कोयले की राख ढो रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट ने थर्मल प्लांट से कोयले की राख निकालने की अनुमति दी है. जोहाल द्वारा साझा किए गए एक अन्य वीडियो में लोग अपने हाथों में कोयले की राख उठाए हुए दिखाई देते हैं. वीडियो में एक व्यक्ति कहता है कि यह कोयले की राख है, रेत नहीं. यह रोजाना की प्रक्रिया है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.जोहाल ने कहा, “सिंगला दस साल तक सत्ता में रहे और उनके टाइम भी राख की लोडिंग होती रही. म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन पिछले 53 सालों से अकालियों के पास है. ऐसे में अकालियों को यह बताना चाहिए कि इतने समय तक वे चुप क्यों रहे और आज उनकी नींद कैसे टूट गई.”

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