बिना सरकार की मंजूरी के लोकसेवक पर चल सकता है आपराधिक केस: HC
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शनिवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि लोक सेवक (Public Servant) पर आपराधिक षड्यंत्र, दुराचार, कदाचार, अनुचित लाभ लेने जैसे अपराध का अभियोग चलाने के लिए सरकार से अनुमति जरूरी नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमा बिना अनुमति लिए चल सकता है. कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 197 का संरक्षण लोकसेवक को पद दायित्व निभाने के दौरान हुए अपराधों तक ही प्राप्त है. ड्यूटी के अलावा अपराध किया जाता है तो अभियोजन की अनुमति लेना जरूरी नहीं है.
हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सरकार ने अभियोग चलाने की मंजूरी दे दी है, तो ऐसे आदेश के खिलाफ याचिका पोषणीय नहीं है. कोर्ट ने कहा आरोपी को ट्रायल कोर्ट में अपनी आपत्ति दाखिल करने का अधिकार है. बेसिक शिक्षा विभाग आगरा के वित्त एवं लेखाधिकारी कन्हैया लाल सारस्वत की याचिका पर हाईकोर्ट ने ये आदेश दिया.
दरअसल, एक सहायक अध्यापक के खिलाफ शिकायत की जांच बिठाकर उसे निलंबित कर दिय गया. विभागीय जांच 3 महीने बाद भी पूरी नहीं हुई तो उसने निलंबन भत्ते का 75 प्रतिशत भुगतान करने के लिए बीएसए को अर्जी दी. इस पर याची ने आदेश दिलाने के लिए रिश्वत मांगी. उसके बाद अध्यापक ने याची को विजिलेंस टीम द्वारा 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़वाया. इसके बाद विजिलेंस टीम ने अभियोजन की स्वीकृति मांगी, जिसे अस्वीकार कर सरकार ने सीबीसीआईडी को जांच सौंप दी.
मामले में सीबीसीआईडी ने चार्जशीट दाखिल की और कोर्ट ने संज्ञान भी लिया. उसके बाद सरकार से अभियोजन की स्वीकृति मिल गई. इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई है. कोर्ट ने याचिका पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दी है. जस्टिस एसपी केशरवानी और जस्टिस आरएन तिलहरी की डिवीजन बेंच ने आदेश ये आदेश दिया है.