प्रोस्टेट कैंसर अवेयरनेस मंथ:पेशाब करते समय तेज दर्द या इसमें खून आना भी है प्रोस्टेट कैंसर का लक्षण

पुरुषों में होने वाले इस कैंसर के सबसे ज्यादा मामले बड़े शहरों में

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला कैंसर है। देश में इसके सबसे ज्यादा मामले दिल्ली, कोलकाता, पुणे, तिरूवनंपुरम, बेंगलुरू और मुंबई जैसे बड़े शहरों में देखे गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर प्रोस्टेट कैंसर के मामले 50 साल की उम्र के बाद लोगों में दिखते थे, लेकिन वर्तमान में यह 35 से 45 आयु वर्ग के लोगों में भी डिटेक्ट हो रहे हैं।

एक्सपर्ट कहते हैं, इसके मामले बढ़ने की दो वजह हैं, पहला- इसके लक्षणों का देरी से दिखना। दूसरा, देरी से दिखने वाले लक्षणों को नजरअंदाज किया जाना क्योंकि इसके लक्षण दूसरी बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। इसलिए मरीज में पनपते कैंसर के लक्षण वो समझ नहीं पाता। शरीर में किसी भी तरह के लक्षण या बदलाव दिखने पर एक बार एक्सपर्ट से जरूर राय लें। शरीर में छोटा सा बदलाव बड़ी बीमारी का इशारा भी हो सकता है।

सितम्बर को प्रोस्टेट कैंसर अवेयरनसे मंथ के तौर पर मनाया जाता है, ताकि पुरुषों को इस कैंसर के बारे में जागरुक किया जा सके। प्रोस्टेट कैंसर क्या है, इसके कौन से लक्षण कैंसर का इशारा करते हैं, इसकी जांच कैसे कराएं और इलाज के नए विकल्प क्या हैं… एक्सपर्ट से जानिए इन सवालों के जवाब

क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर?

यह प्रोस्टेट ग्रंथि की कोशिकाओं में बनने वाला कैंसर है। प्रोस्टेट ग्रंथि को पौरूष ग्रंथि भी कहते हैं। प्रोस्टेट ग्रंथि का काम एक गाढ़े पदार्थ को रिलीज करना है। यह वीर्य को तरल बनाता है और शुक्राणु की कोशिकाओं को पोषण देता है। इसी ग्रंथि में होने वाला कैंसर ही प्रोस्टेट कैंसर कहलाता है।

प्रोस्टेट कैंसर धीमी गति से बढ़ता है। ज्यादातर रोगियों में इसके लक्षण नहीं दिखते। जब यह एडवांस स्टेज में पहुंचता है तो लक्षण दिखना शुरू होते हैं।

इसके कौन से लक्षण अलर्ट करते हैं?
मसीना हॉस्पिटल, मुंबई के सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. प्रसाद कासबेकर कहते हैं, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना भी एक समस्या है। इसके बढ़ने पर कुछ लक्षण दिखते हैं। इसी से मिलते-जुलते लक्षण प्रोस्टेट कैंसर की शुरुआत में भी दिख सकते हैं। जो मरीज को कंफ्यूज करने का काम करते हैं। जैसे- तेज पेशाब लगने के कारण नींद का टूटना, बार-बार यूरिन के लिए जाना। ऐसे लक्षण दिखने पर जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लें।

ऐसे पता चलेगा प्रोस्टेट कैंसर है या नहीं
इस कैंसर से जुड़े लक्षण दिखने पर प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन टेस्ट (PSA) और ब्लड टेस्ट कराएं। जांच में PSA की हाई वैल्यू और तेजी से बढ़ते लक्षण प्रोस्टेट कैंसर की पुष्टि करते हैं। इसके अलावा बायोप्सी (ट्रांस-रेक्टल अल्ट्रासाउंड गाइडेड-TRUS) करके भी प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाया जा सकता है।

अब बात इलाज की, तीन बातों के आधार पर होता है ट्रीटमेंट
डॉ. प्रसाद कासबेकर कहते हैं, प्रोस्टेट कैंसर का इलाज इसकी स्टेज, PSA वैल्यू और मरीज की उम्र के आधार पर तय होता है। अगर कैंसर शुरुआती स्टेज का है तो सर्जरी से इलाज किया जाता है। सर्जरी की मदद से प्रोस्टेट ग्रंथि और सेमिनल वेसिकल्स को हमेशा के लिए शरीर से निकाल दिया जाता है।

वर्तमान में रोबोटिक्स सर्जरी का प्रयोग बढ़ रहा है। ऐसे मरीजों में रोबोटिक रेडिकल प्रोस्टेटक्टॉमी सर्जरी बेहतर मानी जाती है।

जिन मरीजों की हालत ज्यादा नाजुक हो जाती है और सर्जरी के बाद भी हालत में सुधार नहीं होता उन्हें हार्मोन थैरेपी दी जाती है। दवाओं के जरिए उनके टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के लेवल को कम किया जाता है। ये दवाएं बीमारी को पूरी तरह से ठीक नहीं करतीं, कुछ हद तक कंट्रोल करने का काम करती हैं। धीरे-धीरे कुछ समय के बाद मरीजों में ये दवाएं काम करना बंद कर देती हैं। ऐसी स्थिति में कीमोथैरेपी का विकल्प रह जाता है।

सर्जरी नहीं कराना चाहते हैं तो…
वर्तमान में प्रोस्टेट कैंसर के नए इलाज के तौर पर TULSA-PRO ट्रीटमेंट किया जा रहा है। इस तकनीक से कैंसर के उन मरीजों का इलाज किया जाता है जो सर्जरी नहीं कराना चाहते। इस ट्रीटमेंट का पूरा नाम है- ट्रांसयूरेथ्रल अल्ट्रासाउंड एब्लेशन ऑफ द प्रोस्टेट। इस ट्रीटमेंट के दौरान अल्ट्रासाउंड कैथेटर के जरिए मरीज की कैंसर कोशिकाओं को खत्म किया जाता है।

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