ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार, सभी याचिकाओं पर 9 दिसबंर को होगी अंतिम बहस : हाईकोर्ट
जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में सोमवार को ओबीसी आरक्षण को 14 से 27 फीसदी करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 14 फीसदी से ज्यादा ओबीसी आरक्षण पर लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। आगामी 09 दिसम्बर को आरक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं पर अंतिम बहस की तारीख तय की गई है।
मुख्य न्यायाधीश संजय यादव एवं न्यायाधीश विजय कुमार शुक्ला की डबल बेंच ने सोमवार को सभी दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान प्रदेश सरकार की ओर से महाधिवक्ता के द्वारा ओबीसी आबादी की जानकारी पेश की गई। बताया गया कि प्रदेश सरकार मध्यप्रदेश में आबादी के लिहाज से ओबीसी वर्ग को आरक्षण देना चाहती है, प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से अधिक है. इस लिहाज से उन्हें बढ़े हुए आरक्षण का फायदा दिया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने इस मामले में अपना पक्ष रखा और आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि हाल ही में मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच द्वारा निर्णय दिया गया है. इस निर्णय में बताया गया है कि आबादी के परिपालन में भी 50 फीसदी से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता। वर्ष 1993 में इंदिरा साहनी मामले में सुप्रीम कोर्ट का न्याय दृष्टांत है कि आबादी के लिहाज से आरक्षण का प्रावधान नहीं है। दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने 9 दिसंबर को सभी याचिकाओं पर अंतिम बहस की तारीख तय कर दी। इसके बाद हाईकोर्ट मामले पर फैसला सुना सकता है ।
ज्ञात हो कि 8 मार्च 2019 को प्रदेश सरकार के द्वारा जारी संशोधित अध्यादेश को आकांक्षा दुबे समेत कई अन्य की ओर से चुनौती दी गई है, इन याचिकाओं में कहा गया है कि संशोधन के कारण ओबीसी आरक्षण 14 से 27 फीसदी हो गई, इससे कुल आरक्षण 63 फीसदी हो गया है जो संविधान के विरुद्ध है।