Priyanka Gandhi का संसद में हमला: “भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है”
Priyanka गांधी वाड्रा ने सत्ता पक्ष की राजनीति पर तीखे कटाक्ष किए। उन्होंने सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा,
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संसद में अपने पहले भाषण के दौरान Priyanka गांधी वाड्रा ने सत्ता पक्ष की राजनीति पर तीखे कटाक्ष किए। उन्होंने सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा,
“पूरी देश की जनता जानती है कि इनके यहां वॉशिंग मशीन है। इस तरफ दाग और उस तरफ स्वच्छता। मेरे यहां भी लोग थे, जो अब वहां हैं। जब वे यहां थे तो दागदार थे, लेकिन वहां जाकर धूल गए।”
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इस टिप्पणी के जरिए Priyanka ने सत्ता पक्ष के नेताओं की नैतिकता और भ्रष्टाचार को लेकर दोहरे मानदंडों पर सवाल उठाए।
“भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है”
Priyanka ने जोर देकर कहा कि देश का संविधान लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित है और इसे किसी एक विचारधारा की गिरफ्त में नहीं आने दिया जा सकता। उन्होंने कहा,
“भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है। इसे सभी नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बनाया गया है।”
“अंग्रेजों के समय जैसा माहौल”
सत्ता पक्ष की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए Priyanka ने कहा कि आज का माहौल अंग्रेजों के शासनकाल जैसा बन गया है। उन्होंने कहा,
“आज के राजा भले ही भेष बदल लें, लेकिन उनके शौक वही हैं। जनता को दबाने और असहमति को कुचलने की मानसिकता अब भी कायम है।”
संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का आह्वान
Priyanka ने अपने भाषण में लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए जनता और विपक्ष से एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार का काम केवल आलोचना करना नहीं, बल्कि जनता के लिए काम करना है।
महिलाओं और युवाओं के मुद्दे
प्रियंका ने संसद में महिलाओं और युवाओं के मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि सरकार इन वर्गों की समस्याओं को हल करने के बजाय उन्हें अनदेखा कर रही है।
सत्ता पक्ष का विरोध और हंगामा
प्रियंका के बयान के बाद सत्ता पक्ष के सदस्यों ने जोरदार विरोध किया। लोकसभा में हंगामे के बीच प्रियंका ने अपनी बात को मजबूती से रखा और कहा,
“अगर आप जनता के प्रति जवाबदेह हैं, तो काम करके दिखाइए। केवल इतिहास की गलतियों को गिनाना आपकी जिम्मेदारी नहीं है।”
Priyanka का लोकसभा में प्रहार: “आप माफी मांगें, काम करें और बैलेट पेपर पर चुनाव कराएं”
Priyanka गांधी का यह भाषण सत्ता पक्ष की कार्यप्रणाली और उनकी नीतियों पर एक सशक्त हमला था। उन्होंने संविधान और लोकतंत्र की मूल भावना को बनाए रखने की बात कही और सरकार की आलोचनाओं को काम से जवाब देने की मांग की। उनके शब्द जनता के मुद्दों को उजागर करने और विपक्ष की भूमिका को मजबूती से प्रस्तुत करने का प्रतीक थे।