लखीमपुर हिंसा के बाद प्रियंका-राहुल मजबूत
प्रियंका पुलिस से भिड़ीं, पीड़ितों को गले लगाया, झाड़ू लगाई, जानिए कैसे इस घटना से बहन-भाई की जोड़ी को मिली ताकत
UP की राजधानी लखनऊ से करीब 130 किमी दूर लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हिंसा हुई थी, जिसमें 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी। दिन में घटनाक्रम हुआ, रात 12 बजे कांग्रेस महासचिव व पार्टी की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी लखीमपुर के लिए निकल गई थीं। वे लखनऊ पहुंचीं तो उन्हें पुलिस ने हाउस अरेस्ट करने की कोशिश की।
उन्होंने पुलिस से अरेस्ट करने का कारण पूछा। पुलिस कोई जवाब नहीं दे सकी और प्रियंका लखीमपुर के लिए रवाना हो गईं, लेकिन उन्हें सीतापुर के पीएसी गेस्ट हाउस में हिरासत में रखा गया। 4 अक्टूबर को उनका एक वीडियो सामने आया, जिसमें वो गेस्ट हाउस में झाड़ू लगाती नजर आ रही हैं।
इसके बाद 6 अक्टूबर को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों लखीमपुर में आने वाले पलिया गांव पहुंचे और वहां उन्होंने 3 अक्टूबर को जान गंवाने वाले किसान के परिजनों से मुलाकात की। राहुल और प्रियंका के साथ पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी और पिछड़ा वर्ग की एक जाति कुर्मी समाज से आने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी थे।
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ये घोषणा भी की कि, पंजाब सरकार हिंसा में मारे गए पत्रकार और किसानों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए देगी। ऐसी ही घोषणा छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल ने भी की।
ये तो हुई अभी तक की कहानी, अब समझिए इस घटना से कांग्रेस को देशभर में जान कैसे मिली है और UP में गर्त में नजर आ रही पार्टी जिंदा कैसे नजर आने लगी है…
मीडिया में 30 साल अनुभव रखने वाले जर्नलिस्ट अशोक वानखेड़े कहते हैं, कांग्रेस में अंदरूनी झगड़े बहुत हैं। G-23 (कांग्रेस नेताओं का वो समूह जिसने पिछले साल अगस्त में पार्टी के भीतर संगठनात्मक बदलाव की मांग की थी) बार-बार केंद्रीय नेतृत्व को कमजोर बताने का प्रयास कर रहा था। केंद्रीय नेतृत्व ने पंजाब में बदलाव किया तो उस पर भी सवाल खड़े किए गए। कहा जा रहा था कि पुराने लॉयलिस्ट्स हो हटाया जा रहा है।
ऐसे में लखीमपुर हिंसा के बाद तुरंत एक्शन में आईं प्रियंका और राहुल ने सबको जवाब दे दिया है और खुद को मजबूत भी किया है। प्रियंका का रात में ही लखनऊ पहुंचना, उनकी दादी इंदिरा गांधी की याद दिलाता है। जब वे साल 1977 में बिहार के बेलची में हुई हिंसा के बाद वहां पहुंच गई थीं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियोज में लोग प्रियंका को पुलिस से सवाल करते देख रहे हैं। वे पूछ रही हैं कि किस कानून के तहत मुझे जाने से रोका जा रहा है, मुझे क्यों अरेस्ट किया जा रहा है, आपने मुझे हाथ कैसे लगाया।
लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के परिजन से बात करतीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी।
इसके बाद उनका झाड़ू लगाते हुए वीडियो वायरल होता है। फिर दो-दो मुख्यमंत्री घटनास्थल पर पहुंचकर धरना देते हैं और 50-50 लाख रुपए मुआवजे का ऐलान भी करते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने कांग्रेस को UP में जिंदा कर दिया है। हालांकि वे UP किसी हाल में जीत नहीं रहे। उनकी कुछ ही सीटें बढ़ सकेंगी, लेकिन इस घटना का असर पूरे देश में देखने को मिलेगा।
इससे कांग्रेस को लेकर एक परसेप्शन बनेगा, क्योंकि यह फर्जी हत्याकांड नहीं है। वीडियो में लोग खुद देख रहे हैं। केंद्रीय मंत्री का वीडियो सबने देखा। किसानों पर गाड़ी चढ़ाते हुए सबने देखा। और राहुल-प्रियंका का सड़कों पर उतरना सबने देखा।
इससे राहुल गांधी को पार्टी के अंदर बल मिलना तय है। नवंबर में CWC की मीटिंग होना है। उसमें राहुल गांधी एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष चुने जा सकते हैं। इसके बाद पार्टी में जो विरोध चल रहा है, वो सब खत्म होना शुरू होगा। गुटबाजी पर लगाम लगेगी।
राहुल-प्रियंका के एक्शन का सबसे ज्यादा असर पंजाब में देखने को मिलेगा, क्योंकि हिंसा किसान आंदोलन में हुई। सरदार भी मारे गए। पंजाब का नेतृत्व राहुल-प्रियंका के साथ खड़े होकर उन्हें बल दे रहा है। अब कांग्रेस में ही ये सवाल खड़े हो रहे हैं कि जो जी-23 केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हैं, वे अपने एसी कैबिन से निकलकर लखीमपुर क्यों नहीं पहुंचे। उन्होंने इस घटना के बाद क्या किया। साथ ही कांग्रेस के आम समर्थकों को अपने नेता के बारे में बात करने के लिए एक मौका मिला है। BJP हाल फिलहाल बैकफुट पर नजर आ रही है।

पीड़ितों के घर पहुंचकर चर्चा करते राहुल गांधी। उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी थे।
अखिलेश की सपा कांग्रेस से बहुत पीछे रह गई
इस पूरे मामले ने जहां कांग्रेस को देशभर में हाइलाइट किया तो वहीं सपा में कहीं कोई आक्रामकता नजर नहीं आई। जबकि UP में BJP की सबसे बड़ी चुनौती सपा है। दबी जुबान से कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि, BJP खुद कांग्रेस को UP में हाइलाइट करना चाहती थी, क्योंकि इससे कांग्रेस और सपा में वोट बंटेंगे और फायदा BJP को मिलेगा।
हालांकि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता घनश्याम तिवारी कहते हैं हमारा किसी के साथ कोई कॉम्पिटिशन नहीं है। जनता सिर्फ एक घटना देखकर नहीं बल्कि तमाम घटनाओं को देखकर वोट देगी। वे जानते हैं कि सपा कैसे हर बार उनके साथ खड़ी रही।
अब हमारी पार्टी और समूचे देश की एक ही इच्छा है कि गुनाहगारों पर कार्रवाई हो, लेकिन देखिए जिस केंद्रीय मंत्री के बेटे ने जुल्म किया, उन्हीं मंत्री को ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट यानी BPRD का चीफ बनाया गया है।
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