जामिया हमदर्द को शिक्षा और शोध में अग्रणी बनाना प्राथमिकता : अफ़सर आलम
नयी दिल्ली, जामिया हमदर्द के कुलपति प्रोफ़ेसर मोहम्मद अफ़सर आलम ने कहा कि विश्वविद्यालय के संस्थापक हकीम अब्दुल हमीद के सपनों को साकार करते हुए विश्वविद्यालय को शिक्षा और शोध में अग्रणी बनाकर राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से उच्चतम ग्रेड हासिल करना उनका लक्ष्य है।
जामिया हमदर्द के नव नियुक्त कुलपति प्रोफ़ेसर आलम ने यूनिवार्ता से ख़ास बातचीत में मंगलवार को बताया कि कोरोना संक्रमण से उत्तपन्न चुनौतियों के बावजूद विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक कार्यक्रम को सुचारु रूप से चलाने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता विश्वविद्यालय के लिए नैक में A + ग्रेड प्राप्त करना है और इसके लिए उनके पास तैयारी के लिए एक वर्ष का समय है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में एक डेंटल कॉलेज बनाने की योजना भी है।
उऩ्होंने नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि इससे शिक्षा के मापदंड और ऊंचे होंगे। नई शिक्षा नीति के तहत जामिया हमदर्द विभिन्न पाठ्यक्रमों में विभिन्न विषयों के लिए मल्टी-एंट्री और मल्टी एग्जिट व्यवस्था पर काम कर रहा है। यहां के पाठ्यक्रमों को बहु-विषयक बनाने पर तेज़ी से काम किया जा रहा ताकि नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं को कार्यान्वित करने में आसानी हो सके। यह नीति बच्चों की प्रतिभा को निखारने के साथ साथ किताबी ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान अर्जित कर करने में मददगार होगा। कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की अहमियत बढ़ गई है इसलिए विश्वविद्यालय भी इसे और बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
प्रोफेसर अफसर आलम ने बताया कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों तक शिक्षा पहुँचाने के हकीम अब्दुल हमीद के सपनों को साकार करने के लिए कम्मुनिटी कॉलेज खोलना भी उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इसके तहत पहला कम्युनिटी कॉलेज उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में खोला जाएगा जिसके लिए जनकल्याण में जुटी एनजीओ हमदर्द नेशनल फ़ाउंडेशन ने वित्तीय मदद देने पर सहमति व्यक्त कर दी है। कम्मुनिटी कॉलेज में केंद्र सरकार के कौशल विकास योजना को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक शिक्षा दी जाएगी ताकि युवाओं को तत्काल रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके।
उन्होंने कहा कि जामिया हमदर्द ने कोविड से प्रभावित अपने छात्रों की आर्थिक मदद करने के लिए एक ‘विशेष कोविड कोष’ भी बनाया है। इसके तहत कोविड से प्रभावित छात्रों को 25 से पचास प्रतिशत तक की छूट दिये जाने का प्रावधान किया गया है और इन छात्रों के लिए किश्तों में फीस जमा करने का भी प्रावधान है। इसके अलावा कोरोना प्रभावित ऐसे छात्र जो अपनी फीस जमा कराने में सक्षम नहीं है उनको हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की तरफ से वित्तीय मदद दी जा रही है। ‘विशेष कोविड कोष’ को बहुत अच्छी तरह से स्वीकारा और सराहा गया है और इसमें विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने भी अपना सहयोग दिया है।
प्रोफेसर आलम ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोरोना महामारी की वजह से उनके यहां एडमिशन पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं देखा गया है। पिछले साल भी कोरोनो के समय में संस्थान के विभिन्न संकायों में सभी सीटें भर गयी थी।
उल्लेखनीय है प्रोफ़ेसर आलम ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उच्चतर शिक्षा हासिल करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पीचडी की है। उन्होंने अपने 25 वर्षों के आकदमिक करियर में स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड साइंस एंड टेक्नोलोजी के प्रोफेसर और डीन के रूप में भी काम किया है। वह विश्वविद्यालय के पहले इंटरनल कुलपति बने हैं। वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई), राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (नैक), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सहित देश के कई प्रतिष्ठित संस्थानों के सदस्य के रूप में भी सेवा दे चुके हैं। उन्होंने दस पुस्तकें लिखने के साथ साथ 160 से अधिक प्रतिष्ठित जर्नल में लेख प्रकाशिक किये हैं। वह संयुक्त अरब अमीरात, नेपाल, सीरिया, यमन, ईरान, सऊदी अरब, सिंगापुर, मलेशिया और चीन समेत दुनिया के कई देशों में विशेष आमंत्रण पर व्याखान देने के लिए जा चुके हैं। वह कुलपति के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले हमदर्द विश्वविद्यालय में वित्त अधिकारी के रूप में कार्यरत थे।