PM नरेन्द्र मोदी ने बिहार की जनता को दिया कोसी रेल महासेतु का तोहफा
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार में ऐतिहासिक कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित किया। इसके साथ ही अब उत्तर बिहार, नेपाल और भारत की पूर्वी अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए सीधा रेल संपर्क बहाल हो गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन करने के साथ ही नई रेल लाइन और विद्युतीकरण की 12 रेल परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इसमें किउल नदी पर नया रेलपुल, दो नई लाइन परियोजना, पांच विद्युतीकरण परियोजना, एक इलेक्ट्रिक लोको शेड एवं एक तीसरी रेल लाइन परियोजना शामिल है। नई रेल लाइन से हाजीपुर-घोसवार-वैशाली लाइन से पर्यटकों के लिए वैशाली जाना आसान हुआ, वहीं इस्लामपुर-नटेसर लाइन से पटना- गया के लिए वैकल्पिक मार्ग मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि आज रेल कनेक्टिविटी में नया इतिहास रचा गया। उन्होंने कहा कि इन रेल सेवाओं से बिहार के साथ ही पूर्वी भारत का भी विकास होगा। उन्होंने कहा कि 4 वर्ष पहले, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरू किए गए थे। इन दोनों रेल पुलों के चालू होने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच, लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि बिहार के विकास पर प्रधानमंत्री का विशेष जोर है। वहीं रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज का दिन बिहार के स्वर्णिम इतिहास के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य की जनता का 86 साल पुराना सपना आज पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि यह महासेतु बिहार के विकास में अहम भूमिका निभाएगा। इस दौरान रेल मंत्री ने कोरोना काल में माल ढुलाई में हुई उल्लेखनीय वृद्धि का भी जिक्र किया।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका शिलान्यास किया था। आज अटल जी के कारण कोसी महासेतु का सपना साकार हुआ है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बिहार ने देश को 8 रेल मंत्री दिये। इसके बावजूद पिछली सरकारों में राज्य की उपेक्षा होती रही।
1.9 किमी लंबे रेल महासेतु के निर्माण पर आई कुल 516 करोड़ की लागत:
रेल मंत्रालय के अनुसार, 1887 में ब्रिटिश काल के दौरान निर्मली और भपटियाही के बीच कोसी की सहायक तिलयुगा नदी पर लगभग 250 फुट लंबा मीटरगेज रेलपुल का निर्माण किया गया था। परंतु 1934 में आई भारी बाढ़ और विनाशकारी भूकंप में यह मीटरगेज रेलपुल ध्वस्त हो गया। इसके बाद वर्ष 2003-04 में कोसी महासेतु नई रेल लाइन परियोजना को मंजूरी मिली। कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई 1.9 किलोमीटर है जिसके निर्माण पर कुल 516 करोड़ की लागत आई है। भारत-नेपाल सीमा के लिए सामरिक दृष्किोण से भी यह रेल महासेतु काफी महत्वपूर्ण है। इस परियोजना को कोविड महामारी के दौरान ही अंतिम रूप दिया गया, जिसमें प्रवासी श्रमिकों की भी सेवा ली गई।
प्रधानमंत्री ने कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को समर्पित करने के साथ ही सहरसा-आसनपुर कुपहा डेमू ट्रेन का सुपौल स्टेशन से शुभारंभ किया। इस परिचालन के प्रारंभ होके बाद सुपौल, अररिया और सहरसा जिले के लोगों को काफी लाभ होगा। साथ ही इस क्षेत्र के लोगों के लिए कोलकाता, दिल्ली और मुंबई तक की लंबी दूरी की ट्रेनों से यात्रा करना काफी सुविधाजनक हो जाएगा। सहरसा-सरायगढ़-आसनपुर कुपहा रेलखंड की कुल लंबाई 64 किलोमीटर है जिसमें सहरसा से सुपौल (26 किमी) तक ट्रेनों का परिचालन जारी है। अब कोसी रेल महासेतु बन जाने के बाद सुपौल से आसनपुर कुपहा तक ट्रेन परिचालन का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
इसी क्रम में प्रधानमंत्री ने हाजीपुर-घोसवर-वैशाली (450 करोड़) तथा इसलामपुर-नटेसर (409 करोड़) नई रेल लाइन परियोजना एवं करनौती-बख्तियारपुर लिंक बाईपास तथा बख्तियारपुर-बाढ़ के बीच तीसरी लाइन परियोजना (240 करोड़) को भी राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी (65 करोड़), कटिहार-न्यू जलपाईगुड़ी (505 करोड़), समस्तीपुर-दरभंगा-जयनगर (390 करोड़), समस्तीपुर-खगड़िया (120 करोड़), भागलपुर-शिवनारायणपुर (75 करोड़) विद्युतीकृत रेलखंड को राष्ट्र को समर्पण एवं इसपर विद्युत इंजन से ट्रेनों के परिचालन का शुभारंभ किया जाएगा।
कार्यक्रम में फागू चौहान, राज्यपाल, बिहार, नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार, पीयूष गोयल, रेल, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, राम विलास पासवान, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री, रविशंकर प्रसाद, कानून एवं न्याय, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, गिरिराज सिंह, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्री, सुशील कुमार मोदी उप मुख्यमंत्री, बिहार, नित्यानंद राय, गृह राज्य मंत्री, देबाश्री चौधरी, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री, बिजेन्द्र प्रसाद यादव, ऊर्जा तथा मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन मंत्री, बिहार, विनोद कुमार सिंह, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री, बिहार, गौतम देव, पर्यटन मंत्री, पश्चिम बंगाल सहित अन्य गणमान्य मौजूद थे।