बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के विरोध में उतरा प्राथमिक शिक्षक संघ
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा 18 मई को एक प्रेस नोट जारी किया गया । जिसमें यह बताया गया है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान सिर्फ 3 शिक्षकों की मृत्यु कोविड से हुई है । ऐसे में उन मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए मृतकों को अनुमन्य अनुग्रह राशि का भुगतान करने की बात कही गई है। बेसिक शिक्षा विभाग के इस पत्र से लगभग जिलों में हड़कंप मच गया है । ऐसे में अमेठी जनपद में भी उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अशोक मिश्रा का कहना है कि पहले तो हम लोग त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध कर रहे थे । बार-बार यह कह रहे थे कि इस चुनाव को इस महामारी के दौर से टाला जाए । लेकिन सरकार एवं न्यायालय के निर्देश पर हम लोगों ने किसी तरह से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराया । जबकि सरकार के द्वारा हम लोगों को कोई भी सुरक्षा कवच नहीं मिला हम लोगों को का वैक्सीनेशन भी नहीं करवाया गया था । पंचायत चुनाव को संपन्न करवाने के दौरान हमारे शिक्षक संक्रमित हुए जिसमें से आज की तारीख तक 2 शिक्षा मित्रों सहित 20 शिक्षकों की मौत कोरोनावायरस के संक्रमण से हो चुकी है । आज जब उनके शोक संतप्त परिजनों को सहायता करने का समय आया । इसके लिए हमने शासन और निर्वाचन आयोग से मांग की तो सरकार के द्वारा बहाना बनाया जा रहा है और सहयोग नहीं किया जा रहा है । जिसके कारण तमाम परिवार उजड़ गए हैं । इसी को लेकर पूरा शिक्षक समाज आंदोलित और व्यथित है । सरकार का यह आदेश शर्मनाक है। वहीं पर जिले के कोषाध्यक्ष शशांक शुक्ला ने कहा कि चुनाव के दौरान संक्रमित हुए शिक्षकों की मौत को सरकार के द्वारा संवेदनशीलता से नहीं लिया जा रहा है । बल्कि शिक्षकों के घाव को सरकार कुरेदने का काम कर रही है। सरकार हमारे उन शिक्षकों को वापस नहीं ला सकती है । हमारे जनपद से 20 शिक्षक और पूरे प्रदेश से लगभग 1800 शिक्षक काल के गाल में समा गए हैं । ऐसे में उनके शोक संतप्त परिवार को मरहम लगाने के रूप में अनुग्रह राशि दी जाती और उनको कोरोना योद्धा घोषित कर दिया जाता तो शिक्षक समाज पूरा उत्साहित हो जाता। अन्यथा की स्थिति में हमारा उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ शिक्षकों के हितों को लेकर सड़क से लेकर न्यायालय तक की लड़ाई लड़ेगा।