B.R.Ambedkar के अपमान पर दबाव : सोहराबुद्दीन मर्डर केस में Amit Shah की गिरफ्तारी
B.R.Ambedkar की प्रतिष्ठा और उनके योगदान को लेकर हाल के दिनों में कुछ विवाद खड़े हुए हैं। भाजपा और उसके नेताओं की ओर से अंबेडकर जी के प्रति लगातार असंवेदनशीलता और दुराग्रह के आरोप लग रहे हैं।
भारत के संविधान निर्माता B.R.Ambedkar की प्रतिष्ठा और उनके योगदान को लेकर हाल के दिनों में कुछ विवाद खड़े हुए हैं। भाजपा और उसके नेताओं की ओर से अंबेडकर जी के प्रति लगातार असंवेदनशीलता और दुराग्रह के आरोप लग रहे हैं। हाल में एक महत्वपूर्ण घटना ने इस मुद्दे को फिर से सुर्खियों में ला दिया है, जिसमें अंबेडकर जी के अपमान का मुद्दा दबाने के लिए ‘धक्कामुक्की’ की स्थिति पैदा की गई। इस घटनाक्रम को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सब भाजपा की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जो असली मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
B.R.Ambedkar का अपमान: असली मुद्दा
B.R.Ambedkar , जो भारत के संविधान के निर्माता थे, उनके योगदान और समाज के प्रति उनके समर्पण को लेकर अगर भाजपा सरकार या उसके नेताओं की ओर से कोई गलत बयानबाजी या असंवेदनशीलता की जाती है, तो यह सिर्फ एक राजनीतिक गलती नहीं, बल्कि दलित समाज की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। हाल के दिनों में अंबेडकर जी के सम्मान को लेकर कई घटनाएँ हुईं, जिनमें उनकी मूर्तियों के अपमान और उनके योगदान को नकारने की कोशिशें की गईं। यह अपमान केवल अंबेडकर जी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समूचे दलित समाज की भावनाओं का अपमान है।
‘धक्कामुक्की’ का आयोजन: एक नाटकीय घटनाक्रम
सवाल उठ रहा है कि क्या यह ‘धक्कामुक्की’ का आयोजन जानबूझकर किया गया था ताकि असली मुद्दे से ध्यान हटाया जा सके? जब अंबेडकर जी के अपमान की बात सामने आई, तो भाजपा ने अपनी प्रतिक्रिया को अन्य मुद्दों में घसीटते हुए एक नाटकीय मोड़ दे दिया। इस धक्कामुक्की का आयोजन न केवल मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया, बल्कि इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि असल मुद्दा अंबेडकर जी का अपमान नहीं है, बल्कि कुछ और ही है।
मीडिया और जनता का ध्यान भटकाने की रणनीति
जब राजनीति में मुद्दे को दबाने की कोशिश की जाती है, तो अक्सर ऐसा होता है कि लोगों को एक नये विवाद में उलझा दिया जाता है। यह धक्कामुक्की भी उसी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। जब असल मुद्दा अंबेडकर जी के अपमान और दलित समाज की बेइज्जती का था, तो भाजपा ने उसे एक अन्य विवाद में घसीट लिया, जिससे मीडिया और जनता का ध्यान भटक सके। इससे यह साफ दिखता है कि भाजपा का ध्यान वास्तविक मुद्दे से ज्यादा अपनी राजनीतिक स्थिति को बचाने पर था।
मंत्री अमित शाह की गिरफ्तारी और उसका कनेक्शन
हाल ही में एक और राजनीतिक घटना ने तूल पकड़ा, जिसमें भाजपा के एक मंत्री अमित शाह को एक मर्डर केस में गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी, विशेष रूप से सोहराबुद्दीन मर्डर केस में, भाजपा की छवि को नुकसान पहुँचा सकती है। इससे यह साबित होता है कि भाजपा अपने नेताओं की सुरक्षा और छवि को बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकती है, चाहे वह मुद्दों को दबाने के लिए नाटक का सहारा ले या फिर किसी अन्य विवाद को बढ़ावा दे।
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B.R.Ambedkar का अपमान और भाजपा के नेताओं की ओर से इस पर की गई असंवेदनशीलता को लेकर उठते सवालों के बीच, यह स्पष्ट है कि असली मुद्दा यही है। भाजपा द्वारा ‘धक्कामुक्की’ का आयोजन और मीडिया में इस पर विवाद खड़ा करना, असल मुद्दे से ध्यान भटकाने की एक रणनीति हो सकती है। यह घटनाक्रम दिखाता है कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए कभी भी किसी मुद्दे को नकार सकती है, लेकिन देश की जनता अब इन नाटकीय रणनीतियों से सजग हो गई है।