रूस में राष्ट्रपति चुनाव आज से शुरू, पुतिन का जीतना लगभग तय, भारत में भी हो रही है वोटिंग
पुतिन के खिलाफ मैदान में तीन उम्मीदार उतरे हैं, लेकिन सर्वें पुतिन की जीत दिखा रहे हैं।
भारत में तो चुनावों की तारीख का ऐलान कल होगा, लेकिन रूस में चुनाव शुरू हो चुके हैं। 15 मार्च से लेकर 17 मार्च तक वोटिंग होगी। रूस के हवाले से कहा जा रहा है कि ये चुनाव सिर्फ रसम अदायगी ही है, जीतना तो व्लादिमीर पुतिन ने ही है। चुनाव के नतीजे 17 मार्च की रात को जारी कर दिए जाएंगे। रूस के चुनाव में जिस उम्मीदार को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलते हैं, वही राष्ट्रपति बनता है। इससे पहले 2018 के चुनाव में पुतिन को लगभग 77 प्रतिशत वोट मिले थे। पुतिन 24 साल से सत्ता में बने हुए है और इस बार भी उनके जीतने के कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में ये सवाल कई बार उठता है कि पुतिन का जीतना इतना निश्चित क्यों माना जा रहा है?
पुतिन की जीत पक्की क्यों?
कहा जाता है कि रूस के लोग पुतिन को ऐसा नेता मानते हैं, जो अमेरिका और पश्चिमी देशों को मुंहतोड़ जवाब दे सकता है। इसके अलावा यूक्रेन के साथ युद्ध में उन्हें वहां की जनता का काफी समर्थन मिला हुआ है।
माना जाता है कि जो भी पुतिन के खिलाफ खड़ा होता है, उसकी मौत हो जाती है। उनके कट्टर विरोधी और आलोचक नेता एलेक्सी नवलनी की फरवरी में आर्कटिक जेल में मौत हो गई। इसके अलावा प्राइवेट आर्मी के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन को भी पुतिन विरोधी माना जाता था। उनकी भी कुछ महीनों पहले विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। हालांकि इस चुनाव में उनके खिलाफ तीन उम्मीदार निकोलाइ खारितोनोव, लियोनिद स्लटस्की और व्लादिस्लाव दावानकोव उतरे हैं लेकिन यह सिर्फ नाम मात्र के ही उम्मीदार है।
भारत भी ले रहा है हिस्सा
केरल में रहने वाले रूसी नागरिकों व पर्यटकों ने राष्ट्रपति चुनाव में अपनी वोट डाली। इसके लिए तिरुवनंतपुरम में रूसी संघ के मानद वाणिज्य दूतावास रूसी हाउस में विशेष रूप से बनाए गए बूथ बनाए गए थे। दिलचस्प बात ये है कि तीसरी बार वाणिज्य दूतावास में रूसी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग करवाई गई है।
व्लादिमीर पुतिन का राजनैतिक सफर
71 साल के पुतिन अगर इस बार जीतते हैं, तो वह पांचवी बार राष्ट्रपति पद संभालेंगे। दरअसल पुतिन ने साल 2021 में जो कानून बनाया था, उसके अनुसार वह साल 2036 तक रूस के राष्ट्रपति बने रह सकते हैं। पहले कानून था कि कोई भी राष्ट्रपति लगातार दो कार्यकाल तक ही पद पर बना रह सकता है। इसलिए पुतिन ने साल 2008 में राष्ट्रपति का चुनाव नहीं लड़ा था। इस दौरान वह प्रधानमंत्री रहे और उन्होंने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति का कार्यकाल 6 साल करवा दिया था। इसके बाद वह 2012 में राष्ट्रपति बने फिर 2018 में भी उन्होंने राष्ट्रपति संभाला।
इन चुनाव नतीजों पर पूरी दुनिया की नज़रे टिकी हुई है।