सवाल: “मैं समलैंगिक हूं। अब तक 150 से ज्यादा पुरुषों के साथ..”, प्रेमानंद महाराज का जवाब हुआ Viral

वृंदावन — संत प्रेमानंद महाराज, जो अपने प्रभावशाली प्रवचनों के लिए पूरे देश में लोकप्रिय हैं, हाल ही में अपने सत्संग में दो बेहद खास और संवेदनशील सवालों का जवाब देते नजर आए। एक सवाल सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति को लेकर था, जबकि दूसरा सवाल एक समलैंगिक युवक की मानसिक पीड़ा से जुड़ा था। दोनों वार्तालापों के वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। इन जवाबों ने उनके अनुयायियों और युवाओं को गहराई से प्रभावित किया है।
क्यों सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं प्रेमानंद महाराज?
मंगलवार को वृंदावन स्थित उनके आश्रम में एक भक्त ने उनसे सवाल किया, “महाराज, आपके वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत दिखाई देते हैं, जबकि कई संत कहते हैं कि इससे दूर रहो। आप ऐसा क्यों करते हैं?”
इस सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने शांत और गंभीर लहजे में जवाब देते हुए कहा:
“किसी समय मेरे प्रवचनों में मोबाइल लाना तक मना था। वीडियो बनाना तो बहुत दूर की बात थी।”
उन्होंने बताया कि एक बार एक भक्त ने उनसे कहा कि बार-बार आपके प्रवचन सुनने से विशेष लाभ होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। उस भक्त ने उनसे आग्रह किया कि वे अपने प्रवचनों के वीडियो बनवाकर यूट्यूब पर पोस्ट करें ताकि अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।
प्रेमानंद महाराज ने बताया:
“भक्त की बात में सच्चाई थी। जब हमने देखा कि लोगों को लाभ मिल रहा है तो वीडियो डालने की अनुमति दे दी। आज हजारों नवयुवक अपनी बुरी आदतें छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपना रहे हैं।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे यश या प्रसिद्धि के लिए वीडियो पोस्ट नहीं करते:
“हमारी बातों से अगर 100 में से एक भी व्यक्ति सुधर जाए तो यह हमारे लिए बहुत बड़ा लाभ है।”
आज प्रेमानंद महाराज के 6 यूट्यूब चैनल हैं, जिनमें से एक अंग्रेजी भाषा में भी है। इसके अलावा वे इंस्टाग्राम, फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी सक्रिय हैं।
समलैंगिक युवक को संत का जवाब: “भगवान की विशेष कृपा है”
एक अन्य वीडियो जो 17 अप्रैल को उनके सत्संग में रिकॉर्ड हुआ, उसमें एक युवक ने भावुक होकर कहा:
“मैं समलैंगिक हूं। अब तक 150 से ज्यादा पुरुषों के साथ संबंध बना चुका हूं। अब मुझे बेचैनी हो रही है, मन बहुत परेशान है। अब क्या करूं जिससे मन को शांति मिले?”
इस संवेदनशील सवाल पर प्रेमानंद महाराज ने आलोचना नहीं की, बल्कि युवक को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा और जवाब दिया:
“हमें लगता है तुम्हारे ऊपर भगवान की विशेष कृपा है। त्रिभुवन में जब-जब जहां-जहां साधना हुई, वहां साधक को स्त्री से मुंह की खानी पड़ी। शास्त्रों में इसका बहुत वर्णन है।”
उन्होंने युवक को आत्मचिंतन का सुझाव दिया:
“थोड़ा विवेक से सोचो… तुमने ऐसा किया तो क्या पाया? तुम्हारा स्त्री की तरफ आकर्षण नहीं है, तो इसे कमजोरी मत समझो, बल्कि इससे ऊपर उठो और आत्मा को जानो।”
प्रेमानंद महाराज के इस उत्तर को सोशल मीडिया पर काफी सराहना मिली है। उन्होंने किसी भी प्रकार की निंदा करने की बजाय युवक को समझदारी और आध्यात्मिकता से आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया।
डिजिटल माध्यम से आध्यात्मिक क्रांति
प्रेमानंद महाराज के ये दोनों उत्तर दर्शाते हैं कि वे समय के साथ चलते हुए भी परंपरा और आध्यात्मिकता का संतुलन बनाए रखते हैं। एक ओर वे डिजिटल माध्यमों के माध्यम से युवाओं तक आध्यात्मिकता पहुंचा रहे हैं, तो दूसरी ओर सामाजिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर करुणा और विवेक से मार्गदर्शन कर रहे हैं।