प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीतिकार बनाना चाहते हैं राहुल गांधी
लेकिन सोनिया नहीं चाहतीं कि पार्टी में फिर से G-23 जैसा विरोध हो
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कांग्रेस में जाना लगभग तय है, लेकिन उन्हें कौन सी भूमिका दी जाए इसको लेकर गांधी परिवार यानी राहुल, प्रियंका और मां सोनिया गांधी के बीच मंथन जारी है। हालांकि प्रशांत किशोर से जब दैनिक भास्कर ने कॉन्टैक्ट किया तो उन्होंने फिलहाल कांग्रेस में शामिल होने की बात से इनकार कर दिया। जब भास्कर ने उनसे कहा कि कांग्रेस के सूत्र उनकी जॉइनिंग की पुष्टि कर रहे हैं तो उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
इन सबके बीच कांग्रेस में प्रशांत किशोर की एंट्री को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं में नाराजगी की बात सामने आ रही है। कांग्रेस के एक सीनियर लीडर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर यानी PK को फुस्स बम तक कह डाला। वहीं दूसरे वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर साफ कहा, PK अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं तो कांग्रेस की जीत हो न हो, भाजपा की जीत जरूर होगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के भीतर दिग्गजों की भरमार है, लेकिन लंबे समय से बड़े नेताओं की पार्टी में अनदेखी की जा रही है। उसी का खामियाजा कांग्रेस उठा रही है।
राहुल गांधी जानते हैं कि पुराने कांग्रेसी PK की एंट्री पसंद नहीं करेंगे
सोनिया गांधी एक तरफ राहुल गांधी को नाराज नहीं करना चाहती हैं दूसरी तरफ उन्हें इस बात का भी अंदाजा है कि PK की एंट्री से पार्टी के अंदर विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
क्या PK की एंट्री होने पर कोई विरोध भी हो सकता है? दोनों वरिष्ठ नेताओं में से एक ने इसका जवाब देना उचित नहीं समझा तो दूसरे ने कहा, जो भी होगा विचार-विमर्श के बाद होगा। उधर, कांग्रेस के सीनियर लीडर पवन बंसल का कहना है कि प्रशांत किशोर के आने का फायदा निश्चित तौर पर पार्टी को होगा। हालांकि वे यह भी बेहद सावधानी के साथ साफ कर देते हैं कि अगर PK सबके साथ मिलकर काम करेंगे तभी पार्टी को फायदा होगा। पार्टी में उनकी भूमिका के सवाल पर बंसल ने कहा, ‘यह काम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व का है।
तो क्या पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ PK की एंट्री और उनकी भूमिका को लेकर रायशुमारी नहीं की गई? बंसल कहते हैं, ‘छोटे-छोटे ग्रुप्स में राहुल गांधी ने इसको लेकर पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा जरूर की थी। अब वहां सबकी क्या राय थी यह तो मैं नहीं बताऊंगा। जितने लोग होते हैं उतनी ही राय भी होती हैं, लेकिन ज्यादातर ने उनके आने पर आपत्ति नहीं जताई। हां, रही बात भूमिका की तो जैसा पार्टी प्रेसिडेंट को ठीक लगे।’
सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी ने औपचारिकता के लिए ही सही पार्टी में रायशुमारी की कोशिश की है, लेकिन उन्हें एहसास हो गया है कि पार्टी में PK की इस तरह एंट्री पुराने कांग्रेसियों को रास नहीं आएगी। इसके बावजूद राहुल और प्रियंका गांधी PK की एंट्री को लेकर बेहद उत्साहित हैं।
सोनिया नहीं चाहतीं कि G-23 जैसे विरोध के स्वर उठें
प्रशांत किशोर ने हाल ही में घोषणा की थी कि वे अब चुनावी रणनीतिकार की भूमिका में नहीं होंगे, तब से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि वे कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।
सूत्र यह भी कहते हैं कि पुराने कांग्रेसियों की नाराजगी को देखने के बाद सोनिया गांधी भी PK की एंट्री से कतरा रही हैं। हालांकि DMK और तृणमूल कांग्रेस की हाल में हुई जीत से सोनिया गांधी कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में PK को पार्टी से जोड़ना भी चाहती हैं। उधर, राहुल गांधी अपनी जिद पर अड़े हैं। लिहाजा सोनिया गांधी PK को पार्टी में लाने के लिए ऐसा रास्ता खोज रही हैं जिससे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी भी थोड़ी कम हो और राहुल गांधी की जिद भी पूरी हो जाए।
सूत्रों की मानें तो इसी को ध्यान में रखते हुए PK को पार्टी में रणनीतिकार के तौर पर शामिल न कर एडवाइजर की भूमिका देने के बारे में भी बातचीत चल रही है। दरअसल, राहुल गांधी उन्हें चुनाव रणनीतिकार के तौर पर पार्टी में शामिल करने का मन बना चुके थे। वे उनके हाथ में चुनाव की पूरी कमान सौंपना चाहते थे। अगर ऐसा होता तो पार्टी के हर नेता को चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार को लेकर PK सीधे निर्देश देने की स्थिति में होते, लेकिन सोनिया गांधी उनकी एंट्री को लेकर मतभेद भांप गई हैं। वे नहीं चाहतीं कि जी-23 जैसा फिर कोई विरोध का स्वर उठे।
पार्टी सूत्र के मुताबिक राहुल गांधी ने साफ कह दिया है कि अगर PK शामिल नहीं हुए तो वे आगामी चुनावों में अग्रणी भूमिका नहीं निभाएंगे। पुत्र मोह कहें या गांधी परिवार के हाथों से बागडोर न खिसकने देने की जिद, सोनिया राहुल को इस भूमिका में बनाए रखना चाहती हैं, लेकिन उन्हें यह पता है कि पार्टी का वजूद राहुल गांधी से नहीं बल्कि उन दिग्गज कांग्रेसियों से है, जिन्होंने दशकों खून पसीना बहाकर पार्टी को खड़ा किया है। लिहाजा सोनिया गांधी PK की सेफ एंट्री के लिए रास्ता निकालने में जुटी हैं।
कपिल सिब्बल की डिनर डिप्लोमेसी से गांधी परिवार चौकन्ना
पिछले महीने कांग्रेस के सीनियर लीडर कपिल सिब्बल ने दिल्ली में एक डिनर पार्टी दी थी। इसमें G-23 के नेताओं के साथ ही विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए थे।
9 अगस्त को कपिल सिब्बल ने एक डिनर पार्टी दी थी, जिसमें बहुजन समाजवादी पार्टी को छोड़कर सभी पार्टियों के नेता शामिल थे। जी-23 के नेता भी उसमें शामिल थे। RJD चीफ लालू प्रसाद यादव, NCP सुप्रीमो शरद पवार, यूपी नेता अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी. राजा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम शामिल हुए।
इसके अलावा शिवसेना के संजय राउत, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, TMC के कल्याण बनर्जी व डेरेक ओ ब्रायन, बीजू जनता दल के पिनाकी मिश्रा व अमर पटनायक, द्रमुक के तिरुचि शिवा व टीके एलनगोवन, रालोद के जयंत चौधरी और टीआरएस के नेता भी डिनर में पहुंचे थे। तब से कयास लग रहे हैं कि कांग्रेस अब दो धड़ों में बंट सकती है?
ऐसे में PK के हाथ में चुनाव की पूरी बागडोर सौंपने की गलती सोनिया गांधी नहीं करेंगी, लेकिन लगातार राहुल की अगुआई में हार से पस्त पार्टी के लिए कांग्रेस प्रमुख PK नाम की संजीवनी को परखने का मौका भी नहीं खोना चाहतीं।