गोरखपुर : डॉ. कफील की रिहाई के लिए सड़क पर उतरी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, लौटाए गए कार्यकर्ता
गोरखपुर। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार डॉ. कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सड़क पर उतर आई है। रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने आंबेडकर चौक पर बाबा साहब की प्रतिमा के सामने धरना दिया। मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील को रासुका में निरुद्ध किया गया है। सीएए में रासुका तामील किए जाने की यह पहली कार्यवाही है।
मथुरा जेल में बंद डॉ कफील को सीजेएम कोर्ट से सोमवार को ही जमानत मिली थी, लेकिन उनकी रिहाई नहीं हुई। डॉ कफील ने 12 दिसंबर को एएमयू में कथित तौर पर एक भड़काऊ भाषण दिया था। सिविल लाइंस थाना में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। यूपी पुलिस की एसटीएफ ने कफील को 29 जनवरी को मुबंई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था। वहां से उन्हें अलीगढ़ लाया गया। कोर्ट ने उनको 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में मथुरा जेल भेजने का आदेश दिया।
भड़काऊ भाषण पर किया था गिरफ्तार
डॉक्टर कफील खान को भड़काऊ भाषण देने की वजह से गिरफ्तार किया गया था। थाना सिविल लाइन में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। फिलहाल वह मथुरा की जेल में हैं। कफील खान के वकील ने कोर्ट में उनकी जमानत की अर्जी डाली थी, जिस पर 10 फरवरी को सीजेएम कोर्ट ने डॉ. कफील को जमानत दे दी थी। अदालत ने 60 हजार रुपए के दो बांड के साथ सशर्त जमानत दी थी। साथ ही कहा था कि वो भविष्य में इस तरह की घटना को नहीं दोहराएंगे।
अलीगढ़ के डीएम चंद्रभूषण सिंह ने कहा था कि डॉ. कफील खान पर रासुका तामील कर रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी गई है। रासुका तामील होने के बाद उनकी जमानत पर जेल से रिहाई रोक दी गई है।
क्या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने की शक्ति देता है। यह अधिकार केंद्र और राज्य सरकार दोनों को समान रूप से मिले हैं। रासुका लगाकर किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है, हालांकि तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के आधार पर रासुका लगाया जा सकता है।