जेवर एयरपोर्ट पर सियासत हुई तेज, कहा – बसपा के विकास पर पहले सपा और अब योगी सरकार थपथपा रही अपनी पीठ
लखनऊ : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने योगी सरकार के अहम प्रोजेक्ट गंगा एक्सप्रेस वे और जेवर एयरपोर्ट को अपनी सरकार के कार्यकाल का प्रख्यात मॉडल बताकर निशाना साधा है। उन्होंने पहले सपा और अब वर्तमान सरकार पर इसे अपनाकर बताकर पीठ थपथपाने का आरोप लगाया है।
मायावती ने शुक्रवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में खासकर गंगा एक्सप्रेस-वे हो या विकास के अन्य प्रोजेक्ट अथवा जेवर में बनने वाला नया एयरपोर्ट, पूरे जग-जाहिर तौर पर ये सभी बसपा की उनकी सरकार में ही तैयार किए गए विकास के वे प्रख्यात मॉडल हैं जिसको लेकर पहले सपा व अब वर्तमान भाजपा सरकार अपनी पीठ आप थपथपाती रहती है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि साथ ही मेट्रो एवं अयोध्या, वाराणसी, मथुरा, कन्नौज सहित उत्तर प्रदेश के प्रचीन व प्रमुख शहरों में बुनियादी जनसुविधाओं की नई स्कीमें व इनको रिकार्ड समय में पूरा करने का काम भी बसपा का ही विकास माडल है जो कानून द्वारा कानून के राज के साथ प्राथमिकता में रहा, जिससे सर्वसमाज को लाभ मिला।
मायावती ने कहा कि इस प्रकार उनकी सरकार के सन 2012 में जाने के बाद उत्तर प्रदेश में जो कुछ भी थोड़ा विकास संभव हुआ है वे अधिकांश बसपा की सोच के ही फल हैं। उनकी सरकार में ये काम और अधिक तेजी से होते अगर तब कांग्रेस की रही केन्द्र सरकार पर्यावराण आदि के नाम पर राजनीतिक स्वार्थ की अड़ंगेबाजी नहीं करती।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को यमुना इन्टरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों के साथ बैठक की तथा नोएडा इन्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के ‘लोगो’ को सहमति प्रदान की है। यह ‘लोगो’ उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी सारस से प्रेरित है। इस एयरपोर्ट का निर्माण चार चरणों में होगा। शुरुआती क्षमता 1.20 करोड़ यात्री प्रति वर्ष की होगी। वहीं 2050 तक यह क्षमता 7 करोड़ यात्री प्रति वर्ष तक कर दी जाएगी। पहले चरण में दो रनवे होंगे, जिसे बढ़ाकर पांच किया जाएगा। एयरपोर्ट लिए आवश्यक 1,334 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की कार्यवाही पूरी हो गई है। पुनर्वास व विस्थापन के लिए भी 48.097 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। फिलहाल 2 रन-वे के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। अन्य के लिए 3418 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही जल्द शुरू होगी।
इस प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बेहद गम्भीर है। उन्होंने कहा कि यह एयरपोर्ट न केवल भारत का गौरव बनेगा बल्कि इसे ‘ग्लोबल ब्रांड’ के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। यह विश्व के बेहतरीन हवाई अड्डों में से एक होगा। सरकार इसमें कोई कमी नहीं छोड़ेगी। इस एयरपोर्ट को प्रदेश के विकास के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
इस अहम प्रोजेक्ट को विमानन मंत्रालय ने 6 जुलाई, 2017 को साइट क्लीयरेंस दिया। गृह मंत्रालय ने 5 अक्तूबर, 2017 को तथा रक्षा मंत्रालय द्वारा 11 जुलाई, 2018 को एनओसी दी। इसके बाद 29 नवम्बर, 2019 को फाइनेंशियल निविदा खोली गई। ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी ने सबसे अधिक 400.97 रुपये प्रति यात्री प्रीमियम बोली लगाई थी। प्रदेश सरकार ने 16 दिसम्बर, 2019 को ज्यूरिख इंटरनेशनल को सेलेक्टर बिडर घोषित कर कंडीशनल लेटर ऑफ अवार्ड प्रदान किया। वहीं 09 मार्च, 2020 को पर्यावरण की क्लीयरेंस मिली।
नागर विमानन मंत्रालय ने 4 मई, 2018 को निर्माण के लिए सैद्धांतिक अनुमति दी। वहीं 18 मई, 2020 को सुरक्षा क्लीयरेंस दी गई। इसके बाद 07 अक्टूबर, 2020 को ज्यूरिख इंटरनेशनल के एसपीयू यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड व उत्तर प्रदेश सरकार की केंपनी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के बीच कंसेशन एग्रीमेंट साइन किया गया। यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 04 दिसम्बर को एयरपोर्ट का मास्टर प्लान नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के समक्ष प्रस्तुत किया। इसको परीक्षण के लिए भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में निवेश का एक नया माहौल तैयार किया है, जिसके कारण नोएडा क्षेत्र में फिल्म सिटी-फिनटेक सिटी सहित अनेक औद्योगिक इकाइयां आ रही हैं। नोएडा विश्व स्तरीय मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित हो रहा है। योगी सरकार ऐसे प्रोजेक्ट को अपनी बड़ी उपलब्धि बता रही है। इसी को लेकर विपक्ष की सियासत तेज हो गई है।