राजनीति बनी दलदल कहीं दोस्त बने दुश्मन तो कहीं शिष्य ने गुरु के खिलाफ कर दी बगावत
इन सीटों पर मुकाबला इसलिए रोचक है
बुलंदी देर तक किसी शख्स के हिस्से में रहती है बहुत ऊंची इमारत हर घड़ी खतरे में रहती है। ये लाइने आज के राजनीतिक रस्साकशी के चलते एकदम फिट बैठती हैं।सियासत में कुछ भी स्थाई नहीं होता ।यही वजह है कि राजनीति करने वाले दोस्तों में दुश्मनी हो गई है।यही वजह है कि कहीं गुरु शिष्य मैदान में है तो कहीं वे मतदाताओं के बीच एक दूसरे की कारगुजारीयों को बताते नही धकते है।घटनाओं का जिक्र कर ललकारते हैं कहीं दोस्त पर धोखा देने का आरोप लगा तो कहीं खुद पर हुई नाइंसाफी गिना रहे हैं ।कई जगह चुनावी जंग में रास्ते अलग अलग दिखाई दे रहे हैं। इन सीटों पर मुकाबला इसलिए रोचक है क्योंकि एक दूसरे की चाल कोसमझते हैं। दोनों के बीच शह और मात का खेल भी जारी है। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से कुछ कहानियां यही बयां करती हैं।कुछ ऐसी ही रोचक कहानियां है जो, अलग-अलग जगहों से लखनऊ प्रतापगढ़ कन्नौज और फिरोजाबाद से सुनने से मिल रही है।
लखनऊ- मोहनलालगंज
सीट पर रोचक मुकाबला हो गया है। यहां 2017 में सपा का खाता खोलने वाले विधायक अमरीश पुष्कर ने दो दिन पहले सपा के चिन्ह पर नामांकन किया ।अगले दिन उनका टिकट काट कर पूर्व सांसद सुशीला सरोज को मैदान में उतार दिया गया ऐसे मेंविधायक पुष्कर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला भी किया है। यही नहीं अमरीश पुष्कर को राजनीति में लाने का श्रेयसुशीला सरोज को जाता है दोनों साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रम में देखे जाते थे लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट की लड़ाई में दोनों को सियासी दुश्मन बना दिया है।
प्रतापगढ़ – कुंडा
विधानसभा क्षेत्र में अभी नामांकन नहीं हुआ लेकिन यहां गुरु और शिष्य आमने-सामने होंगे जनसत्ता लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह तो दूसरी ओर सपा के नए चेहरे गुलशन यादव ने राजनीतिक जंग शुरू कर दिया है।जनसभाओं में गुलशनयादव राजा भैया के खिलाफ आग उगल रहे हैं।खुद के साथ हुए अन्याय की दुहाई देकर वोट मांग रहे हैं यहां का मुकाबला दिलचस्प है क्योंकि दोनों ही नेता एक दूसरे की चालू को बखूबी जानते हैं।
फिरोजाबाद- सीट सपा के
मैदान में उतरे फैजुर रहमान विधायक अजीम भाई की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई अजीम की पत्नी शाजिया हसन बसपा के टिकट पर मैदान में हैं सपा के पूर्व जिला अध्यक्ष पूर्व विधायक अजीम भाई अब पत्नी के लिए वोट मांग रहे अभी तक दोनों जिगरी दोस्त सियासत में सक्रिय थे। हमेशा साथ दिखने वाले नेता अब जनसंपर्क के दौरान एक दूसरे के खिलाफ जहर उगलते नजर आ रहे हैं।
कन्नौज- विधानसभा तिर्वा
सीट पर भाजपा विधायक कैलाश राजपूत को मैदान में उतारा है। इनके सामने बसपा से अजय वर्मा ने ताल ठोक दी है 2007 में कैलाश और अजय साथ-साथ बसपा में थे। अजय ब्लाक प्रमुख भी रहे। लेकिन विधानसभा चुनाव में गुरु के खिलाफ से शिष्य ताल ठोक दी। तो ऐसी कहानियां है उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल कुछ भी हो लेकिन कुछ भी संभव लगता है ,कहीं दो दोस्त दुश्मन बन बैठे थे तो कहीं शिष्य ने गुरु के खिलाफ ताल ठोक दी ।