विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचले शुरु, जानिए छोटे दलों की अहमियत
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) से पहले सियासी संग्राम को लेकर हलचल दिखाई पड़ने लगी है. दलों में आपसी सियासी जोड़-तोड़ का जोर दिखाई देने लगा है. बीजेपी के लिए इस चुनाव में छोटे दलों की अहमियत काफी बढ़ गई है. दलों में आपसी सियासी जोड़-तोड़ का जोर दिखाई देने लगा है. यूपी चुनाव में बीजेपी और निषाद पार्टी मिलकर चुनाव लड़ेंगे. समझौते के तहत सम्मान जनक सीटें होगी ऐसा दावा केंद्रीय मंत्री और यूपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने किया है. भारतीय जनता पार्टी का उत्तर प्रदेश में एक मजबूत सवर्ण आधार है, एक मतदाता आधार है तो दूसरी तरफ जिसे विपक्षी पार्टी बहुजन समाज पार्टी 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने पाले में करने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी इस चुनाव में फोकस ओबीसी पर कर रही है. भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को लखनऊ में आगामी 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए निषाद पार्टी और अपना दल के साथ औपचारिक रूप से गठबंधन की घोषणा की है. इस मौके पर प्रधान और यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के साथ निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी मौजूद थे. गौरतलब है कि निषाद पार्टी ने 2018 गोरखपुर उपचुनाव लड़ा था और उन्होंने समाजवादी पार्टी के समर्थन से जीत हासिल की थी. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनावों में, इसने पाला बदल लिया और भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया. निषाद पार्टी के उम्मीदवार और संजय निषाद के बेटे, प्रवीण कुमार ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और 2019 के चुनाव में संत कबीर नगर से जीत हासिल की.
निषाद पार्टी ने बीजेपी से मांगी 100 सीटें
पिछले दिनों निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने यूपी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर संकल्प यात्रा की शुरुआत की थी. इस बीच उन्होंने दावा किया था कि वह बीजेपी से 100 से ज्यादा सीटों की मांग करेंगे. तब उन्होंने आरोप लगाए थे कि यूपी में नौकरशाही एक बड़ी बाधा बनती जा रही है और इसी वजह से बीजेपी से उनकी बात नहीं बन रही. हालांकि अब दोनों दलों में गठबंधन हो चुका है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री और यूपी बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान यूपी में बीजेपी की जीत का खाका तैयार करने के लिए तीन दिवसीय दौरे पर रहे. चुनाव प्रभारी के रूप में प्रधान का यह पहला दौरा रहा.
भुगतना पड़ेगा बीजेपी को खामियाजा
इस बीच उन्होंने छोटे दलों से गठबंधन का ऐलान कर धीरे से कास्ट पॉलिटिक्स को भी आगे बढ़ा दिया ताकि आगे की राहें आसान हो सके. कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी नफरत की राजनीति करती है. वे कहते हैं कि हमारी नेता प्रियंका गांधी जब सवाल करती हैं कि कोरोना काल मे लाखों लोगों के मरने पर, बेरोजगारों पर, किसानों पर तो इनके पास कोई जवाब नहीं है. ये किसी से गठबंधन कर लें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. जनता सब समझती है. प्रसपा नेता दीपक मिश्रा भी कहते हैं कि बीजेपी प्रतीकों का दुरुपयोग कर राजनीति करती है. उन्होंने अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को जाट नेता साबित करने और मिहिर भोज को गुर्जर साबित करने पर निशाने पर लेते हैं. वे कहते हैं इनका गठबंधन भी जातीय राजनीति से प्रेरित है आने वाले समय मे बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.