महिला शक्ति की भक्ति में सियासी दल।
नवरात्रि में महिला सशक्तिकरण का सियासी मिशन।
मां की भक्ति और महिला शक्ति का अहसास कराने वाले नवरात्रि में राजनीति में महिलाओं को सशक्त बनाने की तैयारियां तेज़ हो गई हैं। बीस फीसद से ज्यादा दलित समाज और आधी आबादी वाली नारी शक्ति को रिझाने के सियासी एजेंडे से लोकसभा चुनाव की नैय्या पार करने की कोशिश में सभी दलों ने कमर कस ली है।
महिला आरक्षण विधेयक पास होने के बाद इसे लागू होने में भले ही काफी समय लगे लेकिन इसका जादू देश की सियासत में अपना असर दिखाने जा रहा है। आधी आबादी की सियासी हिस्सेदारी के लिए राजनीति दलों ने कमर कस ली है। आगामी लोकसभा चुनाव टिकट बंटवारे में इस बात को लेकर राजनीति दलों में प्रतिद्वंदिता होगी कि कौन अधिक से अधिक महिला उम्मीदवार बनाता है। ऐसे में चुनाव लड़ने की ख्वाहिश रखने वाली महिला कार्यकत्रियों की आस बढ़ गई है और महिला सांसदों को अब टिकट कटने का कम खतरा है।
राजनीति में रुचि रखने वाली नारी शक्ति अब इस आत्मविश्वास और उम्मीद से विभिन्न दलों में शामिल हो रही हैं कि राजनीति में महिलाओं का भविष्य उज्जवल होगा। आगे आरक्षण लागू होने पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा और राजनीति के क्षेत्र में उनकी तरक्की के रास्तों का विस्तार होगा।अक्टूबर का ये एतिहासिक और मुबारक मौका था जब दोनों सदनों में आसानी से महिला आरक्षण विधेयक पास हुआ और राष्ट्रपिता ने इसपर दस्तखत भी कर दी।
भारतीय संसद में इतिहास रचने वाले इस फैसले के बाद महिला सशक्तिकरण के पवित्र पर्व नवरात्रि पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने महिलाओं की शक्ति का विस्तार करने की रणनीतियां बनाना शुरू कर दीं। महिला सम्मेलनों का सिलसिला तेज होने जा रहा है। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए सियासत में महिलाओं का आना जरूरी है। और सियासत में आने के लिए विभिन्न दलों में आधी आबादी की आबादी बढ़ाना पड़ेगी। इसके लिए पार्टियों में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा ज्वाइनिंग का भी सिलसिला शुरू होने की तैयारियों की खबरें आने लगी हैं। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं की ज्वाइनिंग कराकर नारी सम्मान बढ़ाने की हलचलें तेज होगी। खबर है कि कई महिला रिटायर अधिकारी, कर्मचारी, कलाकार, कलमकार, कवित्री, समाज सेविकाएं, स्पोर्ट की दुनियां और अन्य क्षेत्रों से जुड़ी महिलाओं की कतारें राजनीति में दस्तक देंगी।
यानी महिला आरक्षण लागू होने से पहले इस नवरात्रि में राजनीति पार्टियां महिलाओं की हिस्सेदारी की कार्ययोजनाओं का शुभारंभ कर रहे हैं।
नवरात्रि के दौरान जहां देश मां की भक्ति में लीन होकर नारी के विभिन्न रूपों और शक्तियों के आगे नतमस्तक है वहीं यूपी सहित देशभर में राजनीति मंचों में महिला शक्ति के प्रदर्शन होने लगे हैं। महिला सम्मेलनों का सिलसिला तेज हो गया है।
भाजपा ने महिला आरक्षण बिल पास होने कि सफलता का बखान करने और प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद देने के लिए नारी सम्मेलन और धन्यवाद यात्रा निकाल कर आम महिलाओं को जोड़ने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। इन यात्राओं और सम्मेलनों के जरिए भाजपा आम महिलाओं को महिला आरक्षण के फायदों को बताएगी और खासकर ये बताने की कोशिश की जाएगी कि तीन दशक से कोई भी सरकार इसे पास नहीं करा सकी थी।
बीते मंगलवार को बुलंदशहर में महिला सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाओं के साथ महिला सुरक्षा में मिली कामयाबी का जिक्र किया। इसी तरह आगरा में भाजपा की महानगर इकाई के महिला सम्मेलन में भाजपा नेताओं ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में नारी शक्ति वंदन अधिनियम राजनीति में महिलाओं की दिशा और दशा बदलने का काम करेगा।
दूसरी तरह विपक्षी दलों ने भी नारी शक्ति को अपने पाले में लाने की रणनीति तय की है। साथ ही विपक्षी महिला आरक्षण के लागू होने में विलम्ब और बाधाओं को सरकार की नाकामी बताकर इसे पिछड़ों की राजनीति का हथियार भी बनाएगी।जिसका सिलसिला तमिलनाडु से शुरू हो चुका है। यहां मुख्यमंत्री एस के स्टालिन द्वारा आयोजित महिला अधिकार सम्मेलन में सोनिया गांधी सहित इंडिया गंठबंधन की कई महिला नेत्रियों ने हिस्सा लिया। आगे भी विपक्षी दल आरक्षण में ओबीसी महिलाओं के डबल आरक्षण को मुद्दा बनाएंगे।
मणिपुर और देश के भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं की असुरक्षा जैसे विषय पर विपक्ष सत्ता को घेरने की रणनीति पर काम करेगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कह चुके हैं कि उनकी पार्टी अधिक से अधिक महिलाओं को खासकर पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग की महिलाओं को राजनीति में भागीदारी के साथ आगामी लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक टिकट देगी। कांग्रेस का कहना है कि उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट बंटवारे में महिलाओं को बड़ी हिस्सेदारी देने के आरक्षण की पहल की थी। जिस परंपरा को सभी आगे बढ़ाएंगे तो कांग्रेस का ये मिशन कामयाब होगा।
महिला वोट बैंक पर लपकते सभी दलों से जुड़ी महिलाओ को लोकसभा चुनाव में एहमियत मिलने की आशा जग गई है। बताया जाता है कि भाजपा सांसद रीता बहुगुणा जोशी जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सियासत मे रिटायरमेंट निर्धारित होने की उम्र के बार्डर पर खड़ी हैं, उनको आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद कम थी, किंतु अब पुनः टिकट मिलने की आशा की किरण दिखने लगी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक यूपी की कई महिला विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है।
बसपा और लोकदल में भी कर्मठ महिला नेत्रियों के जनाधार का आंकलन किया जा रहा है। महिला वोट बैंक को रिझाने के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में विभिन्न दल पंद्रह से बीस-पच्चीस फीसद महिला उम्मीदवारों पर दांव लगाने का लक्ष्य बना रहे हैं।
– नवेद शिकोह