कविताएँ मन की पीड़ा को निकाल कर सृजन का आत्म-सुख देती हैं…..

साहित्य सम्मेलन में देश के 39 रचनाकारों के साझा काव्य-संग्रह ‘रश्मि अनन्त’ का हुआ लोकार्पण

पटना : साझा संग्रहों के प्रकाशन से हिन्दी काव्य-जगत में एक उत्साहप्रद स्फुरण आया है। ऐसे प्रकाशनों ने काव्य-संसार में प्रवेश को उत्सुक नव-कवियों और कवयित्रियों के लिए व्यापक मंच और अवसर सृजित किए हैं। उन कवियों और कवयित्रियों के लिए यह संजीवनी का कार्य कर रहा है, जो अभावों में अपनी पुस्तकें न तो छपा सकते हैं न उनका प्रसार ही। कविताएँ मन की घनीभूत पीड़ा को न केवल बाहर निकालती हैं, बल्कि सृजन का आत्म-सुख भी प्रदान करती हैं। यह औरों की आँखों के आँसू भी पोंछती हैं और उनमे नवोन्मेष की ऊर्जा भी भरती है। कविताएँ उत्साह और साहस का भी सृजन करती हैं। ये एक मन से निकली हुई, अनेक मन में संचरित होने वाली ,शक्ति की अजस्र स्रोत होती हैं।
यह बातें रविवार को, बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में, देश के ३९ कवियों और कवयित्रियों के साझा काव्य-संग्रह ‘रश्मि अनन्त’ का लोकार्पण करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। डा सुलभ ने कहा कि सुबुद्ध साहित्यसेवी रवीन्द्रनाथ सिंह द्वारा संपादित और सोशल ऐंड मोटिवेशनल ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित यह साझा कृति अनेक प्रकार से मूल्यवान है, जिसमें वरिष्ठ कवयित्री शेफालिका वर्मा सहित अनेक काव्य-प्रतिभा से संपन्न रचनाकारों की प्रतिनिधि काव्य-रचनाएँ संग्रहित हैं। अवश्य ही सुधी पाठक इस पुस्तक का हार्दिकता से स्वागत करेंगे।
लोकार्पण-समारोह के मुख्य अतिथि और ख्याति-लब्ध साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि लोकार्पित पुस्तक की कविताएँ मौजूदा समाज का अल्ट्रासाउंड है। तीन पीढ़ियों के रचनाकारों से सजी संकलन की अधिकांश कविताएँ समाज का तीखा सच उद्घाटित करती है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए, आयोजक संस्था की अध्यक्ष और इस संग्रह की कवयित्रियों में से एक ममता सिंह ने कहा कि लोकार्पित संग्रह एक ऐसा पुष्प-गुच्छ है, जिसमें अनेक तरह के विचार और भाव-पुष्पों का संग्रह हुआ है। इसकी प्रत्येक कविता रोचक और रोमांचक है।
मुख्य-वक़्ता के रूप में अपना विचार रखते हुए, साहित्य शंभु पी सिंह ने कहा कि यदि प्रतिरोध का नाम ‘साहित्य’ है तो दर्द का नाम कविता है। ‘रश्मि अनंत’ में दर्द की अभिव्यक्ति हुई है। कवियों से अधिक कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं प्रभावित किया है।
सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, आकाशवाणी, पटना में कार्यक्रम अधिशासी अलका प्रियदर्शनी, कवयित्री किरण सिंह, पत्रकार मनोज कुमार, बलिराज चौधरी, आराधना प्रसाद, आशा चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन कवयित्री वीणाश्री हेमब्रम ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन पुस्तक के संपादक रवीन्द्रनाथ सिंह ने किया। इस अवसर पर कवि योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, कुमार अनुपम, डा सुमेधा पाठक, डा अर्चना त्रिपाठी, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, अन्नपूर्णा श्रीवास्तव, अजीत कुमार, लता प्रासर, मधु रानी लाल, आनंद किशोर मिश्र, राज कुमार प्रेमी, सत्येंद्र अरुण, रेखा भारती, डा बी एन विश्वकर्मा, चितरंजन भारती तथा कमल नयन श्रीवास्तव समेत अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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