पीएम मोदी करेंगे सरयू नहर परियोजना का लोकार्पण, बदल जाएगी किसानों की किस्मत
लखनऊ. पिछले 43 सालों से लंबित पड़ी सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना (Saryu Canal Project) अब पूरी हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 दिसंबर को इसे पूर्वांचल वालों को सौपेंगे. इसके तहत पांच नदियों को आपस में जोड़ा गया है. इससे तराई और पूर्वांचल के 9 जिलों के किसानों को फायदा होगा. उम्मीद जगी है कि अब इन जिलों के किसानों की फसल पानी के अभाव में नहीं सूखेगी, जिस नदी में पानी कम होगा उसे दूसरे नदी के पानी से रिचार्ज कर दिया जाएगा.
क्या है सरयू नहर परियोजना, किन्हें होगा लाभ
इस परियोजना के तहत पांच नदियों घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है. इस पर अभी तक कुल 9800 करोड़ रुपये का खर्च हो चुका है. बड़ी नदी के पानी को छोटी नदियों तक पहुंचाने के लिए बैराज बनाए गए हैं. इनसे पांच नहरें निकाली गयी हैं. इन नहरों से बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, महराजगंज और गोरखपुर के 29 लाख किसानों को सिंचाई पहले से बेहतर मिल सकेगी.
परियोजना के पूरा होने में कैसे लगे 43 साल
1978 में परियोजना की नींव पड़ी थी. तब इसे लेफ्ट बैंक घाघरा कैनाल नाम दिया गया था. गोण्डा और बहराइच जिलों के लिए इसे तैयार किया जाना था, लेकिन 1982 में इसमें सात और जिले जोड़ दिए गए. तब से लेकर 2017 तक इसके काम में सुस्ती ही रही. जमीन अधिग्रहण, पैसे की कमी, दूसरे विभागों की एनओसी जैसे उलझनों में मामला लटका रहा लेकिन, योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद परियोजना ने रफ्तार पकड़ी. सिंचाई विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि सीएम हर महीने इसकी समीक्षा करते रहे हैं. इसकी वजह से रास्ते में आने वाली रुकावटें दूर हुईं. पैसे समय पर मिलता गया और परियोजना कम्प्लीट हो गई. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस परियोजना पर 1978 से 2017 तक 5189 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि 2017 से लेकर अब तक 4613 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं.
किसानों की कैसे बदलेगी किस्मत?
कहा जा रहा है कि अब कम से कम तराई और पूर्वांचल के 9 जिलों के किसानों की खेती पानी की कमी के कारण नहीं सूखेगी. जिस नदी में पानी कम होगा उसमें बड़ी नदी से पानी बैराज के जरिये पहुंचाया जाएगा. फिर नहरों के जरिये पानी खेत तक पहुंच सकेगा. इससे न सिर्फ खरीफ बल्कि रबी की फसल के समय भी पानी की कमी नहीं होगी. मॉनसून के फेल होने की सूरत में भी सिंचाई का भरपूर इंतजाम रहेगा. बता दें कि मॉनसून के फेल रहने या कमजोर रहने के बावजूद बड़ी नदियों में भरपूर पानी रहता है जबकि छोटी नदियों में पानी की कमी हो जाया करती है.
इस तरह पिछले चार दशकों से लटके प्रोजेक्ट को चार सालों में तेजी से काम करके पूरा कराया गया है. 11 दिसम्बर को पीएम नरेन्द्र मोदी इसका लोकार्पण करेंगे. कार्यक्रम बलरामपुर में आयोजित हो रहा है.