PM मोदी ने किया बिरसा मुंडा संग्रहालय का उद्घाटन, कही ये बात
रांची. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रांची में भगवान बिरसा मुंडा की याद में बनाए गए संग्रहालय (Museum) का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को हर साल जनजातीय गौरव दिवस (Janjatiya Gaurav Diwas) के रूप में मनाया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी का काफी समय आदिवासी भाई-बहनों और बच्चों के साथ बिताया है. मैं उनकी जिंदगी के कई पहलुओं से परिचित रहा हूं, इसलिए आज का दिन मुझे भावुक करने वाला है. कार्यक्रम के दौरान झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन सहित कई और नेता मौजूद रहे.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए इस उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, आज के ही दिन हमारे श्रद्धेय अटल जी की दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण झारखंड राज्य भी अस्तित्व में आया था. ये अटल जी ही थे, जिन्होंने देश की सरकार में सबसे पहले अलग आदिवासी मंत्रालय का गठन कर आदिवासी हितों को देश की नीतियों से जोड़ा था. उन्होंने कहा, भगवान बिरसा ने समाज के लिए जीवन जिया, अपनी संस्कृति और अपने देश के लिए अपने प्राणों का परित्याग किया. इसलिए, वो आज भी हमारी आस्था में, हमारी भावना में हमारे भगवान के रूप में उपस्थित हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के अमृत काल के दौरान आदिवासी परंपराओं और उनकी वीरता की गाथाओं को और भव्य पहचान दिया जाएगा. इस विशेष दिन को ध्यान में रखते हुए राष्ट्र ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है. इसके तहत अब 15 नवंबर भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि जो भूमि उनके तप, त्याग की साक्षी बनी हो. वह हमारे लिए एक पवित्र तीर्थ है
PM मोदी ने कहा, संग्रहालय आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा
भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय के लिए पूरे देश के जनजातीय समाज, भारत के प्रत्येक नागरिक को बधाई देता हूं. ये संग्रहालय, स्वाधीनता संग्राम में आदिवासी नायक-नायिकाओं के योगदान का, विविधताओं से भरी हमारी आदिवासी संस्कृति का जीवंत अधिष्ठान बनेगा. आधुनिकता के नाम पर विविधता पर हमला, प्राचीन पहचान और प्रकृति से छेड़छाड़, भगवान बिरसा जानते थे कि ये समाज के कल्याण का रास्ता नहीं है. वो आधुनिक शिक्षा के पक्षधर थे, वो बदलावों की वकालत करते थे, उन्होंने अपने ही समाज की कुरीतियों के, कमियों के खिलाफ बोलने का साहस दिखाया.